Katihar: बिहार के कटिहार जिले से अन्नदाता किसानों की विचलित कर देने वाली तस्वीर सामने आ रही है. खून-पसीने की गाढ़ी कमायी लगाकर और दिन-रात मेहनत कर अपने तैयार फसल को प्राकृतिक आपदा की वजह से खेतों में बर्बाद होते देख किसान परेशान हैं. किसान किसी तरह से अपने फसलों को खेत से निकालकर खलिहान तक ला रहे हैं.


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जिले के सभी सोलह प्रखंडों के सैकड़ों किसान जो कल तक दूसरों का पेट भरने के लिए अनाज पैदा करते थे, अब आज खुद के पेट भरने के लिए परेशान हैं. यहां सैकड़ों किसान खलिहानों पर अपने सड़े गले अनाज के दाने को सूखा रहे हैं. 


पूर्व मुखिया रामसुबोध ने कहा कि किसानों के दिन-रात मेहनत से तैयार अनाज सड़-गल रही है. उन्होंने कहा कि कर्ज लेकर तैयार हुई फसल का एक मुट्ठी अनाज भी अब बेचना मुश्किल है. रामसुबोध की मानें तो किसानों के पास अपने दो वक्त के खाने के लिए भी अब अनाज सही से नहीं है. किसान अपने खलिहान से सड़े अनाज के बीच से कुछ अच्छे आनाज के दाने को तलाश कर अलग करते हैं. अन्नदाता अब मौत के मुहाने पर खड़ा है, कोई मदद की उम्मीद न देख कई किसान आत्महत्या जैसी परिस्थिति पैदा होने की बात करने लगे हैं.


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महिला किसान ने ये कहा
क्षेत्र की एक महिला किसान गीता ने कहा कि सारी फसल खेत मे डूब गयी. तीन दिनों से हम सब किसान परिवार भूखे है. जी करता है सब परिवार फांसी लगा लें. कर्ज से की हुई खेती थी, कर्ज की वसूली की वजह से पीटाने की नौबत आ गयी है. कभी भी सपरिवार जहर खा लेंगे.
 
पीड़ित किसान बैधनाथ का दर्द
पीड़ित किसान बैधनाथ ने कहा कि अब क्या खाएंगे. सब सड़ गया कर्ज की खेती थी. कर्ज वाला अलग बोलता है. जमीन वाला अलग बोलता है. डूबते खेत से खलिहान तक लाए थे अनाज को. अब खलिहान पहुंचा फसल सड़ गया. अब इसी सड़े फसल में से सही दाना खोज रहे हैं.
 
जिला कृषि पदाधिकारी ने क्या कहा?
किसानों के इस दयनीय हालात पर जिला कृषि पदाधिकारी दिनकर प्रसाद सिंह ने कहा कि सूबे में आयी चक्रवाती मानसून की वजह से 185 mm की बारिश हुई थी. इस बरसात में जिले के सोलह प्रखंडों में 11 हजार 342 हैक्टेयर भूमि से किसानों की तैयार फसल बर्बाद हुई है. राज्य सरकार को किसानों की बर्बाद फसल की क्षतिपूर्ति पर 15 करोड़ 79 लाख रूपये मदद के तौर पर जिला को दिए जाने को लेकर प्रस्ताव भेज दिया गया है.
 
(इनपुट- राजीव रंजन)