पूर्णिया : बिहार के किसान इन दिनों पारंपरिक खेती को छोड़कर नई तकनीक से मुनाफा आधारित कृषि में लगे हैं . दरअसल बड़े पैमाने पर ओल की खेती की जा रही है जिससे ना सिर्फ किसान खुशहाल हो रहे हैं बल्कि आसपास के मजदूरों को भी रोजगार मिल रहा है. 


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वन इंडिया प्लान का भी मिल रहा फायदा
सनोज कुमार अपने खेतों में ओल की खेती करते हैं. पढ़े लिखे होकर भी वह किसी नौकरी की तलाश में नहीं हैं. बल्कि अपनी ही मिट्टी में ओल की खेती कर काफी मुनाफा कमा रहे हैं. सनोज की माने तो इस इलाके में बड़े पैमाने पर किसान ओल की खेती करते हैं . जिससे 1 एकड़ में दो से ढाई लाख रुपये प्रति फसल बचत होती है. सनोज ने बताया कि ओल के लिए स्थानीय बाजार के साथ-साथ सरकार के वन इंडिया प्लान का भी उन्हें फायदा मिल रहा है. साथ ही देश के किसी भी हिस्से में वह अपना ओल बेच सकते हैं .


किसानों की बदली तकदीर 
युवा किसान नीतीश कुमार ने बताया कि मानें तो ओल की खेती ने न सिर्फ किसानों की तकदीर बदली है. बल्कि इलाके की तस्वीर भी बदल दी है. किसान अब रोजगार की तलाश में इधर उधर ना जा कर अपने ही खेतों में मुनाफा कमा रहे हैं .महिला किसान कला देवी बताती हैं कि ओल की खेती ने उन्हें काफी सहारा दिया है और मजदूरों को भी रोजगार मिल रहा है .


देश के सभी हिस्सों में बेचा जा रहा ओल
बहरहाल एक तरफ जहां किसान परंपरागत कृषि करते हैं. तो कभी सुखार तो कभी बाढ़ से किसानों को दो-चार होना पड़ता है. जबकि आमदनी भी उतनी नहीं हो पाती है. वही पूर्णिया के इन किसानों ने ओल की खेती कर बड़े पैमाने पर लोगों को खेती करने के लिए प्रेरित किया है. जिसका नतीजा है कि अब यहां का ओल देश के सभी हिस्सों में जाता है.


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