किशनगंज : भारत नेपाल सीमा से सटे किशनगंज जिले के दिघलबैंक प्रखंड अंतर्गत धनतोला पंचायत के कजला टोला गांव के ग्रामीणों ने दुर्लभ प्रजाति के एक वन जीव पैंगोलिन को पकड़ कर वन विभाग के हवाले किया. पैंगोलिन मिलने की सूचना मिलते ही मौके पर ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठी हो गई. 


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पैंगोलिन को अररिया जिले के रानीगंज वाटिका में छोड़ा जाएगा
वहीं ग्रामीणों के सूचना पर मौके पर पहुंचे वन विभाग के उप वन परिसर पदाधिकारी मनोज उरांव ने जीव को अपने संरक्षण में लेकर बताया कि इस पैंगोलिन को अररिया जिले के रानीगंज वाटिका में छोड़ा जाएगा. 


तीसरी बार इस दुर्लभ प्रजाति के जीव को ग्रामीणों मे पकड़ा 
मिली जानकारी के अनुसार अब तक तीसरी बार इस दुर्लभ प्रजाति के जीव को पकड़कर ग्रामीणों ने वन विभाग को सौंपा है. अनुमान लगाया जा रहा है कि अभी हाल ही में भारी बारिश के बाद नदियों में आए सैलाब में पहाड़ी इलाकों से यह जीव बहकर आया होगा. इससे पहले वर्ष 2016 में दिघलबैंक प्रखंड के सीमावर्ती गांव मोहमारी धनतोला के पास पैंगोलिन को पकड़ा गया था. वर्ष 2019 में पैंगोलिन दिघलबैंक के बैरबन्ना गांव में मिला था. वहीं इस बार भी दिघलबैंक प्रखण्ड के धनतोला पंचायत के कजला टोला गांव में मिला है.


भारत में पाए जाने वाले पैंगोलिन दुर्लभ हैं
जानकारी के मुताबिक भारत में पाए जाने वाले पैंगोलिन दुर्लभ प्रजातियों में से है. यह जीव समूह में नहीं बल्कि झुंड से हटकर दिखनेवाला जीव है. बताया जाता है कि पैंगोलिन के मांस को दुर्लभ और गुणकारी मानने के चलते, तस्करी के लिए इसका शिकार भी होता है. यही वजह है कि भारत में यह जीव आज विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गया है. 


पैंगोलिन को सल्लू सांप भी कहते हैं
दुर्लभ प्रजाति का पैंगोलिन एक स्तनधारी प्राणी है. जो बेहद शर्मीले प्रवृत्ति का होता है. यह दुर्लभ प्राणी मूलत: अफ्रीका में पाया जाता है. इसके शरीर की बनावट कछुए के तरह की होती है. यह कछुए की तरह सिकुड़ता भी है और बेहद शर्मीला होता है. इसकी चमड़ी की बनावट टाईल्स के छोटे सेल की मानिंद होती है. यह जीव खतरे की आशंका को भांपते हुए खुद को कुंडली मारकर छिपा लेता है. पैंगोलिन को सल्लू सांप भी कहते हैं. ये दीमक और चींटीखोर होता है. एक पैंगोलिन साल में सात करोड़ से ज्यादा चींटियां खा लेता है. ये जीव रात के वक़्त ही खाने की तलाश में बिल से बाहर निकलते हैं. 


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जानकार बताते हैं कि पैंगोलिन के खाल की विदेशों में काफी डिमांड है. इसके खाल का इस्तेमाल शक्तिव‌र्द्धक, यौनवर्धक और महंगी दवाईयां बनाने में किया जाता है. इसका इस्तेमाल ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन में किया जाता है. यहां तक कि बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने में भी इसके खाल का इस्तेमाल होता है.