रांची: झारखंड के शिक्षा मंत्री का निधन चेन्नई में इलाज के दौरान हो गया, इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को रांची लाया गया. वहां दर्शन के बाद उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव लाया गया. फिर उनका अंतिम संस्कार हुआ और इसमें झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन भी उपस्थित रहे. इस दौरान सीएम हेमंत सोरेन ने जगरनाथ महतो की अर्थी को कांधा भी दिया. झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता जगरनाथ महतो के निधन से पूरी पार्टी शोकग्रस्त नजर आई.


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जगरनाथ महतो के निधन से उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में जेएमएम के संगठन को बड़ा झटका लगा है. अब खबरों की मानें तो झारखंड सरकार में जगरनाथ महतो के बेटे अखिलेश महतो उनके सियासी विरासत को संभालेंगे और साथ ही खबर आ रही है कि उन्हें उपचुनाव से पहले ही मंत्री मंडल में शामिल किया जा सकता है. इस खबर के पीछे की बड़ी वजह यह है कि झारखंड में हेमंत सरकार के एक और मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद उनके पुत्र हफीजुल अंसारी को सरकार में शामिल किया गया और मंत्री बनाया गया था. 


जगरनाथ महतो जब तक बीमार रहे उनके इलाज के लिए सीएम हेमंत सोरेन लगातार कोशिश करते रहे और हर व्यवस्था की. वह जब अस्पताल में भर्ती थे और कोरोना की वजह से उनका फेफड़ा प्रत्यारोपण भी हुआ था तो उन्हें कई महीनों तक मंत्री बनाए रखा. हालांकि बाद में कई महीनों तक सीएम ने खुद उनके ज्यादा बीमार होने पर उनके विभाग की जिम्मेदारी खुद संभाली ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि अब अखिलेश महतो को सीएम हेमंत सोरेन यह अहम जिम्मेदारी दे सकते हैं ताकि वह संगठन को और मजबूत कर सकें.


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झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन का जगरनाथ महतो और उनके परिवार से लगाव का यह नजारा देखकर लोग अंदाजा लगाने लगे हैं कि यहां होने वाले उपचुनाव में अब अखिलेश महतो ही जेएमएम के उम्मीदवार होंगे. इसको लेकर कहा जा रहा है 6 महीने तक तो अखिलेश मंत्री रह ही सकते हैं इस दौरान उपचुनाव संपन्न हो जाएगा. अभी तक झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार के गठन के बाद से 5 उपचुनाव हो चुके हैं जिसमें दुमका, मधुपुर, बेरमो, मांडर और रामगढ़ की सीट शामिल है जिसमें से दो जेएमएम और दो कांग्रेस के हिस्से में गई है. जबकि एक पर आजसू ने ताकत दिखाते हुए इसे अपने हिस्से में किया है. अब यह छठी सीट होगी जिसपर उपचुनाव होना है.