रांचीः राज्य सरकार द्वारा राज्य चिकित्सकों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें प्राइवेट प्रैक्टिस करने की इजाजत दे दी गई. राज्य में सरकारी डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर लगी रोक वापस ले ली गयी है. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक में मंत्री ने इसकी घोषणा की गई. राज्य के सरकारी डॉक्टर अब काम करने के बाद ही आणि कर्तव्य अवधि के बाद निजी अस्पताल में निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं. राज्य सरकार ने इसके लिए छूट दे दी है. दरअसल शनिवार को नेपाल हाउस स्थित सचिवालय में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के साथ आई एम ए झांसा एसबीआई झारखंड के प्रतिनिधियों की हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है. हालांकि आम जनता ने इसे ठीक नहीं बताया है.


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इसलिए लिया गया निर्णय
बैठक के बाद स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि कई बार ऐसा देखने को मिला है कि सरकारी अस्पताल के चिकित्सक 47 आयुष्मान के मरीजों को देखते है और वही चिकित्सक प्राइवेट अस्पतालों में दो हजार मरीजों को देखते हैं. यह एक बड़ा अंतर है. ऐसे में विभाग ने निर्देशित किया है कि हमारे सरकारी चिकित्सक प्राइवेट में आयुष्मान से जितने मरीजों का इलाज करेंगे उतने ही मरीजों का इलाज सरकारी अस्पताल में भी करना होगा. ऐसे में निर्णय लिया गया है कि राज्य के सरकारी चिकित्सक चार अस्पतालों में ही प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं. लोगों का कहना है कि इस फैसले से एक बार फिर डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में कम नजर आएंगे.


भाजपा विधायक सीपी सिंह ने कही ये बात
वही झारखंड में सरकारी डॉक्टर के ड्यूटी के बाद निजी प्रैक्टिस करने के मामले पर भाजपा विधायक सीपी सिंह ने कहा कि मैंने पढ़ा है कि जो सरकारी डॉक्टर पदस्थापित हैं, ड्यूटी के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं. मैं इसका समर्थन करता हूं क्योंकि इस बात को मैं जानता हूं कि कोई भी डॉक्टर पर पाबंदी लगाने से वह मानेगे नहीं, डॉक्टरों को लगता है कि वेतन से मनोनुकूल पैसे मिलते नहीं है ,ऐसे में उन्हें निजी प्रैक्टिस करने होते हैं. वहीं उन्होंने कहा की मेरा यह मानना है कि वह अपने सरकारी ड्यूटी समय पर करते हैं कि या नहीं इस पर सरकार ध्यान दें, सरकार को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि सुबह जब उनकी ड्यूटी लगती है, वह समय पर अस्पताल पहुंचते हैं या नहीं और समय से अपने अस्पताल को छोड़ते हैं या नहीं मैंने कई बार देखा है कि कई अस्पतालों में जूनियर डॉक्टर को इलाज करना पड़ता है सरकार को इन चीजों पर ध्यान देना चाहिए.


हालांकि आम लोगों का कहना है कि यह गलत फैसला है. अब डॉक्टर सरकारी अस्पताल में कम और प्राइवेट अस्पताल को ज्यादा तवज्जो देंगे. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यह फैसला उनके लिए अच्छा है जिनके पास पैसे हैं क्योंकि वह प्राइवेट में इलाज करा सकेंगे. लेकिन गरीब लोगों के लिए ये फैसला सही नहीं है.