रांचीः झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले राजभवन में लंबित होने का बाद अब दुमका से जेएमएम विधायक बसंत सोरेन से जुड़े मामले को भी निर्वाचन आयोग ने राजभवन भेज दिया है. दोनों मामले राजभवन में होने के कारण एक बार फिर आम से लेकर खास तक सब की निगाहें राजभवन पर ही केंद्रित हो गया है, कि आखिर राजभवन से कब तक दोनों मामले सार्वजनिक होगें और आगे किए जायेगें तो क्या दोनों मामले की तस्वीर एक साथ ही साफ होगी.


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25 अगस्त से राजभवन में हैं मामले
इस मामले पर झारखंड कोटे के मंत्री मिथलेश ठाकुर ने कहा, अब इस पर बयानबाजी करना मूर्खता लगता है. 25 अगस्त से ही सीएम से जुड़े मामले राजभवन में हैं और राज्यपाल ने एक दो दिन में निर्णय का भरोसा दिलाया था अब चर्चा है बसंत सोरेन से जुड़ा मामला भी सील बंद लिफाफे में विशेष दूत से भेजा गया है. जब कोई चीज विशेष दूत से भेजा जाता है तो उस पर त्वरित कार्रवाई की उम्मीद की जाती है. अब आगे राजभवन क्या निर्णय लेता है , राजभवन ही अच्छी तरह बता पाएगा, लेकिन आज जो स्थिति कर के रखी गई है कहीं से लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है. ये प्रकरण भी राज्य हित-जन हित से जुड़ा है. जो भी अनुशंसा है जल्द से जल्द संबंधित व्यक्ति को अवगत करवाना चाहिए.


सीएम की सदस्यता को लेकर उहापोह 
ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा, सीएम के सदस्यता की लेकर जो उहापोह चल रहा है वो 25 अगस्त से ही चल रहा है. अब दूसरे का भी आ गया.इस मामले का राज्यपाल कब तक खुलासा करेंगे कहना मुश्किल है. पर समय का तकाजा है ,आम लोग भी जानना चाहते हैं आखिर क्या होगा. जो भी निर्णय हो ,पक्ष में हो या विपक्ष में ,उसके लिए सरकार तैयार है. निर्णय जल्द आना चाहिए ,ताकि आम लोगों के साथ साथ राजनीतिक लोगों के बीच भी अच्छा संदेश जाए.


कानून कर रहा है अपना कामः भाजपा
वहीं दूसरी तरफ विधायक बसंत सोरेन मामले पर भी चुनाव आयोग द्वारा अपना फैसला राज्य भवन भेजे जाने की बातें सामने आ रही है, इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कानून अपना काम कर रही है, कानून जो भी निर्णय देगी भारतीय जनता पार्टी उसका सम्मान करेगी, कौन कह रहा है कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा जिनको सीएजी पर भरोसा नहीं है, चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है, उन लोगों को देख लीजिए संविधान संस्थाओं का भरोसा नहीं करते, भाजपा हमेशा कहती है कानून पर भरोसा करना चाहिए, गलत किए हैं तो इंतजार कीजिए सजा का और गलत नहीं किए हैं तो काहे का डर, कानून अपना काम कर रही है घबराए नहीं अपना काम करें.