हजारीबाग: Budhiya Mata Mandir: हजारीबाग जिला मुख्यालय से तकरीबन 17 किलोमीटर दूर ईचाक के 354 वर्ष प्राचीन बुढ़िया माता मंदिर में प्रतिमा की नहीं बल्कि मिट्टी और सिंदूर के पिंड की पूजा की जाती है. यहाँ मिट्टी के पिंड पर सिंदूर का लेप लगाया जाता है और माता लोगों की मन्नतें पूरी करती हैं. मंदिर की मान्यता है कि जिसने भी यहां झोली फैलाया है मां उसकी मुरादें पूरी करती हैं. खासकर नवरात्र और सावन पूर्णिमा में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और सप्तमी के दिन मां को सिंदूर चढ़ाया जाता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मंदिर के पुजारी अजय कुमार पांडे ने कहा कि पूर्वज बताते थे सन् 1668 ई. में इलाके में हैजा महामारी फैली थी. तब इस बीमारी का इलाज नहीं था. महामारी से लोग मर रहे थे. इसी काल में एक चरवाहा ने जंगल में सिंदूरी रंग की मिट्टी देखी, जिससे आवाज आ रही थी. घर लौटने पर गांव में इसकी चर्चा की दूसरे दिन गांव के लोग वहां गए. वहां पहुंचकर सबने शांति महसूस की. तब ग्रामीणों ने वहां पूजा शुरू कर दी. फिर वहां लोगों ने मिट्टी का मंदिर बना डाला और पूजा जारी रखी. इसके बाद गांव में लोग बीमारी से मुक्त होने लगे. लोगों की आस्था बढ़ते गई और लोग देवी दुर्गा की पूजा करने लगे. आज भी बुढ़िया माता मंदिर के गर्भ गृह में वही सिंदूरी मिट्टी का पिंड है. भक्तों को पिंड से दूर जलार्पण कराया जाता है , ताकि क्षतिग्रस्त नहीं हो.


स्थानीय समाजसेवी पंकज कुमार ने बताया कि बुढ़िया माता मंदिर में जो भी श्रद्धालु अपने मन्नतें लेकर आते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. इस मंदिर में झारखंड ही नहीं बल्कि यूपी, बंगाल , बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु माता का दर्शन के लिए पहुंचते हैं. दूसरी और देखा जाए रामगढ़ के राजाओं के द्वारा पहले सैकड़ों मंदिर एवं तालाब का निर्माण इचाक में किया गया था. जिसकी नक्काशी आज भी अतीत को याद दिला देती है. अगर सरकार ध्यान दे तो इस क्षेत्र को पर्यटक स्थल भी घोषित किया जा सकता है. क्योंकि ईचाक को मंदिरों का शहर कहें तो इसमें कोई दो मत नहीं हैं.


एक महिला श्रद्धालु रानी सिंह ने बताया कि जब से जन्म हुआ है तब से मैं देखती आ रही हूं कि बुढ़िया माता मंदिर में मां के प्रति लोगों की आस्था बहुत ज्यादा है. श्रद्धालुगण दूर-दूर से पहुंचते हैं और मन्नतें पूरी होने के बाद मां के दरबार में अर्जी लगाते हैं. स्थानीय किशोर मेहता ने बताया कि इचाक में जिस तरीके से सैकड़ों प्राचीन मंदिर है साथ ही साथ बुढ़िया माता मंदिर में श्रद्धालुओं को मां के प्रति श्रद्धा उमड़ती है.