रांची: झारखंड के कांग्रेस के तीन विधायकों को पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल से भारी संख्या में नकदी के साथ गिरफ्तार किया गया था. गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने उनका मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने की मांग की थी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य की एकल पीठ ने कहा कि मामले की जांच राज्य पुलिस की सीआईडी द्वारा जारी रहेगी. हालांकि, पीठ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता चाहें तो वे उसके फैसले के खिलाफ खंडपीठ या उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं.


20 जून की शाम को, झारखंड के तीन कांग्रेस विधायकों, इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन बिक्सल कोंगारी को पुलिस ने हावड़ा से उनके वाहनों में 49 लाख रुपये की नकदी के साथ पकड़ा था. सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली और तीनों विधायकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.


पश्चिम बंगाल सरकार के वकील, अनिर्बान रॉय ने तर्क दिया कि आरोपी व्यक्तियों के पास यह विकल्प नहीं हो सकता है कि कौन सी एजेंसी उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करेगी. रॉय ने कहा, "आरोपी के पास सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी का विकल्प नहीं हो सकता है. इस मामले में रांची में एक अलग प्राथमिकी दर्ज की गई है. लेकिन चूंकि पश्चिम बंगाल में नकद जब्ती की घटना हुई, इसलिए रांची में प्राथमिकी स्वीकार्य नहीं है."


याचिकाकर्ताओं के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने तर्क दिया कि वे जांच प्रक्रिया को स्थानांतरित करना चाहते हैं क्योंकि राज्य पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी पार्टी पूरी घटना से राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है.


अपने जवाबी तर्क में, पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने कहा कि चूंकि नकद जब्ती राज्य पुलिस के अधिकार क्षेत्र में थी, इसलिए सीआईडी को उस मामले की जांच करने का पूरा अधिकार है.


दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने कहा कि मान्यताओं के आधार पर जांच प्रक्रिया को एक एजेंसी से दूसरी एजेंसी में स्थानांतरित करने का आदेश देना संभव नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि तीनों विधायकों द्वारा दिए गए बयान कि वे कोलकाता से साड़ी खरीदने के लिए नकदी लाए थे, स्वीकार्य नहीं है और इसलिए अदालत को पूछताछ प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं लगता है.


(आईएएनएस)