Ranchi: जब देश भर में कोरोना (Corona) संक्रमण के कारण लॉकडाउन (Lockdown) लगा तो बड़ी संख्या में दूसरे राज्य में रहने वाले झारखंड के मजदूर भी रांची लौटें. ऐसे में सरकार के सामने इन मजदूरों को रोजगार से जोड़ने यानी रोजगार मुहैया कराने की बड़ी चुनौती थी. सूबे में रह रहे लोगों का काम तो छिना ही याथ में दूसरे राज्य से भी आए लोगों को काम दिलाना मुख्यमंत्री के सामने प्राथमिकता में आ गया. सबसे ज्यादा समस्या शहरी मजदूरों के सामने आई.


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इसके मद्देनजर झारखंड में बतौर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने लॉकडाउन के दौरान शहरी श्रमिकों के लिए मुख्यमंत्री श्रमिक योजना की शुरुआत की. सीएम ने इस योजना को 14 अगस्त 2020 को लागू किया था. 


दरअसल, कोरोना संक्रमण के बाद बड़ी संख्या में न सिर्फ मजदूर दूसरे राज्य से झारखंड वापस लौटे बल्कि झारखंड में कोरोना काल में उनके सामने रोजी-रोजगार की बडी समस्या आई. ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने श्रमिकों के लिए मुख्यमंत्री श्रमिक योजना को लागू किया. इस योजना के तहत श्रमिकों के लिए जॉब कार्ड बनाया गया. जॉब कार्ड के तहत मुख्यमंत्री श्रमिक योजना के जरिए कम से कम 100 दिन के रोजगार का प्रवधान किया गया. 


वहीं, इस योजना से पूरे राज्य में शहरी मजदूरों को न सिर्फ काम मिलने लगा बल्कि मजदूरी भी अच्छी मिलने लगी. योजना के तहत प्रतिदिन 316 रुपए मेहनताना भी दिया जाता है.


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ऐसे में अगर इस योजना की सफलता के बारे में बात करें तो तो बुंडू जैसे इलाके में तो ये योजना लॉकडाउन में मजदूरों के लिए संजीवनी का काम कर रही है और श्रमिको के लिए वरदान की तरह साबित हो रही है. बुंडू में पिछले कई महीनों से मुख्यमंत्री श्रमिक योजना के तहत लगभग 100 एकड़ में फैले तालाब में सफाई का काम चल रहा है. इसके साथ-साथ कम्युनिटी शौचालय हो, सड़को की साफ-सफाई या अन्य निर्माण के कार्य उन क्षेत्रों में यहां के श्रमिकों को लॉकडाउन जैसे हालात में भी काम और मजदूरी दोनों मिल रहे हैं.


इधर, बुंडू की सिटी मिशन मैनेजर श्रद्धा महतो बताती हैं, 'कोविड में सारा काम ठप्प पड़ा हुआ था. बाहर से भी मजदूर लौटे थे, ऐसे में यहां के लिए मुख्यमंत्री श्रमिक योजना जीवन और जीविका बचाने में सहायक साबित हो रही है.'


बुंडू के एसडीएम अजय साव बताते हैं, 'जिस उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत हुई है, फलीभूत होता दिख रहा है. काम नहीं मिलने के कारण मजदूरों की स्थिति अच्छी नहीं थी लेकिन इस योजना ने जरूरतमंदों के जीवन को आसान बना दिया है. यहां अधिक से अधिक मजदूरी की डिमांड क्रिएट की गई और जरूरतमंद सही लाभुक को काम मिला.'


वहीं, योजना के तहत काम कर रहे शेखर मछुआ बताते हैं कि 'हम कोलकाता में ईंट भट्ठा में काम करते थे. लॉकडाउन लगा तो वापस आना पड़ा. आ तो गए पर यहां काम नहीं मिलने से काफी परेशानी बढ़ गई. लेकिन जब मुख्यमंत्री श्रमिक योजना से जुड़े तो जॉब कार्ड बना और काम भी मिलने लगा. कोलकाता से आने पर तो घर का खर्च चलना मुश्किल हो रहा था, पर अब तीन महीने से लगातार काम कर रहे हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हैं क्योंकि उन्हीं की वजह से हमारी रोजी-रोटी चल रही है.'