Dhanbad: जूनियर फुटबॉल में राज्य, देश और विदेश में अपने कदमों का कमाल दिखा चुकी धनबाद के बांसमुड़ी की रहने वाली संगीता सोरेन (Sangeeta Soren) ने यह कहां सोचा होगा कि एक दिन ऐसा भी आएगा, जब उसे ईट-भट्ठे में मजदूरी करनी होगी.


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दिहाड़ी मजदूरी करने वाले संगीता सोरेन के भाई को लॉकडाउन में काम मिलना क्या बंद हुआ. पूरे परिवार को चलाने का भार उसके कंधे पर आ गया. वहीं, उसके घर में पिता अस्वस्थ हैं. ऐसी हालत से मजबूर संगीता मां के साथ काम करने ईट-भट्ठे में पहुंच गई. कड़ी मेहनत के दम पर परिवार के लिए दो रोटी का जुगाड़ तो कर लिया. लेकिन प्रतिभा संपन्न संगीता का बड़ा खिलाड़ी बनने का अरमान ईट के भट्ठे में कुचलकर कहीं दम तोड़ गया.


संगीता को कोच बनाया जाएगा
एक अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी की इस बदहाली की जानकारी जब झारखंड सरकार तक पहुंची तो उसने इसकी सुध ली. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने संगीता को सरकारी मदद और नौकरी का आश्वासन दिया. 


वहीं,  मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने इस अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉलर को 1 लाख रुपए की सहायता खिलाड़ी कल्याण कोष से देगी. इसके अलावा सूबे के खेल विभाग की तरफ से धनबाद में फुटबॉल का एक डे बोर्डिंग भी खोला जाएगा और यहां संगीता को कोच बनाया जाएगा.



संगीता ने जूनियर फुटबॉल में किया भारत का प्रतिनिधित्व
रेंगनी पंचायत के बांसमुड़ी गांव के खेतों में खेलकर संगीता ने जूनियर फुटबॉल में देश का प्रतिनिधित्व किया. वह 2018-19 में भारत की अंडर-17 फुटबॉल टीम में शामिल हुई. उन्होंने भूटान और थाइलैंड में खेले गए टूर्नामेंट में अपने कदमों की चपलता दिखाई और फुटबॉल प्रेमियों की तारीफ हासिल की.


इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम को ब्रॉन्ज मेडल मिला, जिसमें संगीता का भी योगदान रहा.  संगीता फुटबॉल की दुनिया में इससे आगे का मुकाम भी हासिल करना चाहती थी. लेकिन आर्थिक मजबूरियों ने उसके अरमानों को मुकाम मिलने से पहले ही कुचल दिया.


हालांकि, संगीता कहती हैं कि 'सरकार कुछ ऐसा इंतजाम करे कि जिस तरह मजबूरियों की वजह से उनके अरमान पूरे न हो सके. ऐसे दूसरे किसी खिलाड़ी को ऐसी मुश्किलों का सामना न करना पड़े.' साथ ही अब संगीता के परिवार को उम्मीद है कि उसकी लाडली को एक सरकारी नौकरी मिलेगी और परिवार के हालात सुधरेंगे.