गुमलाः 21वीं सदी में महिलाओं ने तरक्की का परचम लहराते हुए जहां चांद की दूरी तय करने से लेकर हवाई जहाज उड़ाने का कठिन काम करके अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है. वही देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर काबिज आदिवासी महिला के जनजातीय समाज की एक आत्मनिर्भर बेटी को सामाजिक बहिष्कार का दंश झेलने को बाध्य होना पड़ रहा है. दरअसल, सिसई प्रखंड की शिवनाथपुर पंचायत के डहूटोली गांव की युवती मंजू उरांव को अपने आत्मनिर्भर प्रवृत्ति का खामियाजा भुगतने की नौबत आ गई है. 


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ट्रैक्टर चलाकर मंजू करती है खेती
बता दें कि इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई कर रही 22 वर्षीय मंजू कुमारी एक सफल कृषक हैं. परिवार के 6 एकड़ जमीन के अतिरिक्त वह अपनी लगन और हौसला के बदौलत ग्रामीणों के 10 एकड़ जमीन को लीज पर लेकर धान मकई टमाटर आलू व अन्य सब्जियों की खेती पिछले 2 वर्षों से लगातार कर रहे हैं. खेती की आमदनी से उसने ट्रैक्टर व सिंचाई से जुड़े सामग्रियों की खरीदारी भी की है. जोश और जुनून मंजू कुमारी में कुछ हद तक है कि वह खुद ट्रैक्टर चलाकर खेती करते हुए लोगों के बीच मिशाल पेश कर रही है.


मंजू के खेती करने से नाराज है ग्रामीण
मंजू द्वारा ट्रैक्टर से खेत जोते जाने पर अंधविश्वास में जकड़े ग्रामीण यह नाराज हैं. सदियों से चली आ रही परिपाटी के तहत महिलाओं को घर के छप्पर छारने और खेतों में हल चलाने की मनाही है. मंजू ने ऐसा करके कहीं ना कहीं गांव में महामारी को न्योता दिया है. गांव के पहन की मौजूदगी में सैकड़ों महिला पुरुषों ने गांव में मंजू कुमारी के खिलाफ पंचायत बैठाई और दोबारा ट्रैक्टर से खेत नहीं जोतने की हिदायत देते हुए मंजू से माफी मांगने की मांग की साथ ही जुर्माना भी उस पर लगाया गया. पंचायत में भारी संख्या में उपस्थित महिलाओं ने कहा कि गांव को सुरक्षित करने के लिए जमानत राशि से गांव में पहले आपदा और को बनाया जाएगा. पंचायत का फरमान नहीं मानने पर मंजू कुमारी के सामाजिक बहिष्कार की चेतावनी भी दी गई.


ग्रामीणों के फरमान को मंजू ने मानने से इनकार
बता दें कि आधुनिक सोच से ताल्लुक रखने वाली मंजू कुमारी ग्रामीणों के फरमान को मानने से इनकार कर दिया है. वह लड़की द्वारा छत पर नहीं जाने या खेत नहीं जोतने की बात को महज एक अंधविश्वास करार देती है और कहती है कि आज की तारीख में जब आदिवासी महिला राष्ट्रपति हो सकती हैं, महिला चांद पर जा सकती है, ट्रेन और हवाई जहाज चला सकती है तो फिर भला खेती क्यों नहीं कर सकती है. मंजू ने बताया कि उसे खेती में काफी रूचि है उसने किसान क्रेडिट कार्ड के तहत ऋण के लिए आवेदन भी दिया, लेकिन उसे यह ऋण इसलिए नहीं दिया जा रहा है क्योंकि वह अविवाहित है. मौजूदा चुनौतियों के बीच मंजू कुमारी ने साहूकार से ऊंचे ब्याज दर पर ऋण लेकर खेती में पूंजी झोंकी है. लगातार परिश्रम की बदौलत उन्नत खेती की दिशा में सक्रिय है.


मंजू ने पुलिस से की शिकायत
मंजू ने सामाजिक बहिष्कार की बात प्रशासन के समक्ष पहुंचने के बाद मुखिया ने ऐसी किसी घटना या पंचायत के फरमान से साफ इंकार कर दिया है. वहीं पुलिस तथा प्रशासन से जुड़े लोग भी गांव पहुंच कर आम लोगों को समझा रहे हैं.


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