रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य विधानसभा में 150 से अधिक अवैध नियुक्तियों की जांच के लिए गठित जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद कमीशन की रिपोर्ट अदालत में पेश न किए जाने पर मंगलवार को गहरी नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई तक अगर यह रिपोर्ट पेश नहीं होती है, तो विधानसभा सचिव को खुद अदालत के समक्ष सशरीर उपस्थित होना पड़ेगा.


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चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 अगस्त की तारीख मुकर्रर की है. बता दें कि झारखंड विधानसभा में अवैध नियुक्तियों की जांच होने के बाद भी कार्रवाई न होने पर शिव शंकर शर्मा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2005 से 2007 के बीच में विधानसभा में हुई नियुक्तियों में भारी गड़बड़ी हुई है. इस मामले की जांच के लिए जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद कमीशन (वन मेंबर कमीशन) बना था.


कमीशन ने जांच कर वर्ष 2018 में राज्यपाल को रिपोर्ट भी सौंपी थी, जिसके बाद राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. लेकिन, अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इस कमीशन की रिपोर्ट को जांचने के लिए एक दूसरा कमीशन बना दिया गया है.


इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान विधानसभा सचिव की ओर से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई थी. इसमें बताया गया था कि जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाला वन मेंबर कमीशन अभी जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद कमीशन की रिपोर्ट की स्टडी कर रहा है. मुखोपाध्याय कमीशन का कार्यकाल सितंबर 2023 तक है.


इनपुट- आईएएनएस


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