रांची:Holika Dahan 2023 Rituals: होली का त्योहार आने में अब मात्र कुछ दिन ही बचे हैं. ऐसे में हर तरफ इस त्योहार को लेकर खुमार देखने को मिल रही है. देश के अलग अलग क्षेत्रों की इसको लेकर कई मजेदार और अनोखी परंपरा है. झारखंड में होलिका दहन के दिन सांप की आहुति देने की काफी पुरानी परंपरा है. प्राचीन काल से लेकर आज तक ये परंपरा निभाई जाती है. तो आइए आज आपको इस मजेदार परंपरा के बारे में बताते हैं.


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क्यों दी जाती है सांप की आहुति


सांप से जुड़ी इस मान्यता के अनुसार जनजातीय समाज के लोग पहले भोजन के लिए शिकार पर ही निर्भर थे. लेकिन एक बार उनके इलाके में एक बड़ा सांप आया. जिसे सांसूडी कहा जाता था, वो अपनी सांस से ही जानवरों को खींचकर अपना शिकार बना रहा था. जिसके चलते कई बार जनजातीय समाज के लोगों को भूखे ही रहना पड़ जाता था. ऐसे में सभी निर्णय लिया की भविष्य में उन्हें किसी प्रकार का नुकसान ना हो इसके लिए उस विशालकाय सांप को मार दिया जाए. तभी एक महिला ने सुझाव दिया कि धधकते आग को माथे पर लेकर सांप वाले रास्ते से गुजरा जाए. रास्ते से गुजरने के दौरान सांप जब अपनी सांस से उसे अपनी ओर खिंचेगा तो आग से वो बुरी तरह घायल हो जाएगा. इसके बाद सभी मिलकर उस सांप को मार देंगे.


सेमल के पेड़ में खैर बांधकर जलाने की परंपरा


सभी के निर्णय लेने के बाद ऐसा ही किया गया. महिला जब आग को अपने माथे पर लेकर उस रास्ते से गुजरने लगी तो सांप ने सांस से उसे अपनी ओर खींच लिया. इसके बाद सांप आग और राख से अंधा होने के साथ साथ घायल भी हो गया. इसके बाद लोगों ने मिलकर उसे मार दिया. सांप जंगल में स्थित सेमल के पेड़ पर रहता था. उस पेड़ में आदिवासियों ने सूखे खैर बांधकर आग लगा दी, ताकि अगर कोई दूसरा सांप हो तो वो भी मर जाए. इसलिए आदिवासी समाज में होलिका दहन के दिन सेमल की डाली पर खैर बांधकर जलाने की परंपरा है.


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