पटना : सरायकेला खरसावां जिला के तिरुलडीह में शनिवार को आजसू नेताओं द्वारा 40वां शहादत दिवस मनाया गया. दरअसल, 40 साल पहले अलग झारखंड की लड़ाई लड़ते हुए आंदोलनकारी अजीत और धनंजय महतो एक हादसे में पुलिस की गोली के शिकार हो गए थे. इस हादसे में दोनों आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी.


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40 साल पहले हुआ था आंदोलन


आपको बता दें कि अविभाजित बिहार सरकार के समय सन् 1982 में युवा छात्र संगठन के बैनर तले ईचागढ़ प्रखंड को सुखा ग्रस्त घोषित और अलग झारखंड राज्य के लिए छात्र नेता हिकिम चन्द्र महतो के नेतृत्व में ईचागढ़ प्रखंड कार्यालय परिसर में कार्यक्रम किया गया. इस अवसर पर चौका मोड़ तथा तिरुलडीह शहीद स्थल स्थित शहीद अजीत और धनजंय महतो के मूर्ति पर ईचागढ़ विधायक सबिता महतो, भाजपा के जिला महामंत्री मधुसूदन गोराई एवं आजसू नेता हरेलाल महतो के साथ क्षेत्र के कई आम और खास लोगों ने फुल माला पहनाकर श्रद्धांजलि दिया और उनके योगदानों को याद किया.


सुरक्षा गार्ड को दिया गया था गोली चलाने का आदेश
बता दें कि तिरुलडीह में ज्ञापन सौंपा था. इसी बीच अंचल अधिकारी ने आन्दोलन कारी पर गोली चलाने का आदेश सुरक्षा गार्ड को दिया. सुरक्षा गार्ड ने अजीत महतो गांव कुरली और धनंजय महतो गांव आदारडीह पर गोली चला दिया, जिसमें दोनों की मृत्यु हो गई. इस गोलीकांड का आज 40 साल हो रहा है. इसके बावजूद भी आज तक शहीद परिवार को न्याय नहीं मिला. आज के दिन इस क्षेत्र के तमाम नेता, मंत्री आकर श्रद्धांजलि देते हैं लेकिन कोई शहीद परिवार को न्याय नहीं दे पाया. इस मौके पर शहादत के समय से आज 40 साल बीत जाने के बाद तक जनप्रतिनिधि और सरकार से मिलते आ रहे झूठा आश्वासन से शहीदों के परिजन अब अपने आप में काफी ग्लानि महसूस कर रहे हैं, जिसका दर्द परिजनों के द्वारा आज शहादत दिवस पर बयां किया गया.


इनपुट- रणधीर कुमार सिंह


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