रांची: झारखंड हाथी दांत के तस्करों का बड़ा केंद्र बन गया है. जंगलों में घुसकर हाथियों की हत्या और उनके दांत काटने वाले अपराधियों ने झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम से लेकर चीन तक अपना नेटवर्क फैला रखा है. तीन दिन पहले चाईबासा के कुम्हारटोली मोहल्ले में एक घर में छापेमारी कर वन विभाग और पुलिस की टीम ने पांच तस्करों को गिरफ्तार किया है. ये सभी लोग एक ऐसे ही अंतरराज्यीय गिरोह के नेटवर्क से जुडे हैं. इनके ठिकाने से 10 हाथी दांत बरामद किए गए हैं. 


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गिरफ्तार तस्कर झारखंड, ओडिशा और बिहार के रहने वाले हैं. इनमें चाईबासा का जगन्नाथपुर निवासी अनिश अहमद अंसारी, ओडिशा के बड़बिल के अमरजीत जायसवाल और संजीत जायसवाल, रांची का चंदन कुमार और बिहार के समस्तीपुर का रंजीत कुमार सिंह शामिल हैं. चाईबासा वन प्रमंडल के डीएफओ (डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) सत्यम कुमार ने बताया कि तस्करों के इस नेटवर्क के बारे में मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के सेंट्रल जोन से सूचना मिली थी. इसके आधार पर पकड़े गए तस्करों ने अपने नेटवर्क के बारे में अफसरों को कई महत्वपूर्ण सूचनाएं दी हैं. चाईबासा जिले से हाथी दांत तस्करी के एक मामले में कुछ महीने पहले ईडी ने भी जांच शुरू की है.


हाल की घटनाएं भी बताती हैं कि झारखंड के जंगलों में हाथियों की लगातार हो रही मौत की घटनाओं के पीछे तस्करों और अपराधियों का बड़ा नेटवर्क है. पलामू टाइगर रिजर्व के लाटू जंगल से बीते 21 सितंबर को वन विभाग की टीम ने हाथी का कटा हुआ दांत बरामद किया. फॉरेस्टर परमजीत तिवारी के मुताबिक टीम को देखते ही तस्कर हाथी दांत फेंककर भागने में सफल रहा. इसी तरह रामगढ़ जिला अंतर्गत मांडू प्रखंड के डूमरडीह जंगल में बीते 15 सितंबर को एक हाथी मरा पाया गया. 


वन विभाग के अफसरों तक जब यह खबर पहुंची, तब तक अपराधी हाथी के दोनों दांत काटकर ले गये थे. हालांकि तीन दिन बाद वन विभाग ने जंगल से हाथी के दांत बरामद कर लिये, लेकिन इस मामले में किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई. अगस्त के पहले हफ्ते में पलामू टाइगर रिजर्व एरिया के फुलहर जंगल में एक हाथी मरा पाया गया. बीते 31 जुलाई को लातेहार जिले के बालूमाथ थाना क्षेत्र के रेची जंगल में एक हाथी की लाश मिली. कुछ लोग मृत हाथी का दांत काटकर ले गये थे.


चाईबासा वन प्रमंडल में पड़ने वाले मंझारी क्षेत्र के दुबिला जंगल में 19 सितंबर 2020 में भी दांतों की तस्करी के लिए एक हाथी की हत्या कर दी गयी थी. हालांकि वन विभाग ने काटे गये दांत हाथी के शव से कुछ दूरी पर झाड़ियों से बरामद कर लिये थे. मामले को लेकर कृष्ण बिरुवा, पुरनचंद्र बिरुवा, सुरेश कुंकल, बिनोद गागराई, कृष्णा हेंब्रम, त्रिलोचन तिरिया, लखन तिरिया और सलाय पिगुवा के विरुद्ध मंझारी थाने में एफआईआर कराई गई थी. अब ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल पर जांच शुरू की है. इसके पहले 25 नवंबर 2019 में सारंडा जंगल में एक हाथी मृत पाया गया था. उसके भी दांत काटकर तस्कर ले गये थे.


चाईबासा वन प्रमंडल की सीमा से ही सटे ओडिशा के क्योंझर जिले में 15 जून 2020 में दो हाथियों की हत्या के बाद दांत काटकर ले जाने की घटना सामने आई थी. पिछले साल लॉकडाउन के दौरान भी क्योंझर जिला अंतर्गत बामेबारी क्षेत्र में एक हाथी की हत्या कर तस्कर दांत काटकर ले गये थे. सितंबर 2020 में चाईबासा के दुबिला जंगल के काली टीका कोचा में एक हाथी मरा पाया गया था. तस्कर उसके दांत काटकर ले गए थे. इस इलाके में हाथी दांत की तस्करी का पहली बार तब पता चला था जब 23 दिसंबर 2017 में मझगांव के बडाबलमा गांव के जंगल के पास सिर कटा हाथी का शव मिला था. उसके दांत काट कर तस्कर ले भागे थे.


मामले में पुलिस ने अंतरराज्यीय हाथी दांत के तस्कर गिरोह का खुलासा करते हुए 8 लोगों को गिरफ्तार किया था. हाथी दांत का खरीददार अब्दुल माजिद कटक से गिरफ्तार हुआ था. उस समय तस्करों से 20 लाख रुपये भी बरामद हुए थे. जांच में पता चला था कि हाथी की हत्या के लिए अरुणाचल प्रदेश से शूटर बुलाए गए थे. हत्या में प्रयोग की गयी बंदूक पुलिस ने बरामद की थी. तस्करों ने हाथी दांत 14 लाख रुपये में बेचा था.


(आईएएनएस)