Jharkhand HC On conversion Of Tribals: झारखंड हाई कोर्ट ने आदिवासियों के धर्मांतरण के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार से तुरंत जवाब दाखिल करने को कहा है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायमूर्ति अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने शुक्रवार 30 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. अदालत ने यह आदेश सोमा उरांव नामक व्यक्ति की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया.


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आदिवासियों को धर्म बदलने के लिए किया गुमराह
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सुनवाई के दौरान अदालत को जानकारी दी गई कि झारखंड के भीतरी इलाकों में आदिवासियों को गुमराह किया जा रहा है. कभी-कभी उन्हें विभिन्न धर्म अपनाने के लिए लुभाया जा रहा है. कोर्ट को बताया गया कि झारखंड में 'चंगाई सभा' जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनके जरिए भोले-भाले आदिवासियों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इसके अलावा अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे इस मामले पर अपना जवाब दाखिल करें. अब तक सरकारों ने इस पर कोई जवाब दाखिल नहीं किया है. कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच के लिए सरकार को एक कमेटी बनानी चाहिए. सरकारी वकील ने बताया कि राज्य के विभिन्न जिलों में आदिवासियों के धर्मांतरण के संबंध में आंकड़े जुटाए जा रहे हैं.


अगली सुनवाई 5 सितंबर को
जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी. अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा है कि वे अपना-अपना हलफनामा दाखिल करें ताकि मामले की आगे की सुनवाई हो सके. साथ ही याचिकाकर्ता के वकील रोहित रंजन सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि इसी तरह की एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है. हाई कोर्ट ने पाया कि डेनियल डेनिश नामक व्यक्ति द्वारा दायर एक अन्य जनहित याचिका में भी आदिवासियों के धर्मांतरण का मुद्दा उठाया गया है. कोर्ट ने आदेश दिया कि सोमा उरांव और डेनियल डेनिश की दोनों याचिकाओं को एक साथ जोड़ा जाए और इन पर एक साथ सुनवाई की जाए. इस तरह झारखंड हाई कोर्ट ने आदिवासियों के धर्मांतरण के मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है ताकि इस मुद्दे पर उचित निर्णय लिया जा सके.


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