Jharkhand: `मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज` एचईसी के पास बिजली बिल चुकाने को पैसे नहीं, किसी भी दिन ठप पड़ जाएंगे तीनों प्लांट
Jharkhand News: देश में मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज के रूप में मशहूर रही रांची स्थित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचईसी (हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन) के तीनों प्लांट किसी भी दिन ठप पड़ सकते हैं. इसकी वजह यह है कि कंपनी के पास बिजली बिल चुकाने तक के पैसे नहीं हैं.
रांचीः देश में मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज के रूप में मशहूर रही रांची स्थित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचईसी (हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन) के तीनों प्लांट किसी भी दिन ठप पड़ सकते हैं. इसकी वजह यह है कि कंपनी के पास बिजली बिल चुकाने तक के पैसे नहीं हैं और झारखंड राज्य विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने 15 दिनों में कंपनी को बिजली काटने का अल्टीमेटम दिया है.
ऐसे में एचईसी ने भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय को इसकी जानकारी देते हुए एक बार फिर आर्थिक मदद की गुहार लगाई है. हालांकि, सरकार पहले ही कंपनी को किसी तरह की आर्थिक मदद से इनकार कर चुकी है. सरकार का कहना है कि एचईसी को अपने ही संसाधनों के जरिए खड़ा होना होगा. एचईसी पर बिजली बिल के मद में झारखंड राज्य विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) का 180 करोड़ रुपए बकाया है.
निगम ने एचईसी को जो नोटिस जारी किया है, उसमें कहा गया है कि 15 दिनों के भीतर बकाया का भुगतान नहीं होने पर कंपनी को बिजली की सप्लाई काट दी जाएगी. बिजली कटते ही एचईसी के तीनों प्लांट ठप हो जाएंगे. पहले ही जबर्दस्त आर्थिक संकट से जूझ रही कंपनी में इस नोटिस को लेकर हड़कंप है. यहां के अफसरों और कामगारों का 19 महीने का वेतन बकाया है. हालांकि, कंपनी के पास आज की तारीख में 1,355 करोड़ का वर्क ऑर्डर है, लेकिन, वर्किंग कैपिटल की कमी के चलते समय पर प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा है.
हाल में आई एचईसी की वर्ष 2022-23 की एनुअल रिपोर्ट से भी पता चलता है कि इसकी माली हालत दिनों-दिन किस तरह बदतर होती जा रही है. इस वर्ष एचईसी का कुल प्रोडक्शन महज 60.50 करोड़ रुपये का रहा, जबकि, कंपनी को 230.85 करोड़ का घाटा हुआ. इसी तरह वित्तीय वर्ष 2021-22 में उत्पादन 203.84 करोड़ और घाटा 256.07 करोड़, वर्ष 2020-21 में उत्पादन 252.43 करोड़ और घाटा 175.78 करोड़, वर्ष 2019-20 में उत्पादन 158.29 करोड़ और घाटा 405.37 करोड़, वर्ष 2018-19 में उत्पादन 340.22 करोड़ और घाटा 93.67 करोड़ रुपये का हुआ था.
विभिन्न मदों में कंपनी की देनदारी 250 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है. सीपीएफ लोन और इंटरेस्ट में 6480.73 लाख, वॉलेंट्री पीएफ मद में 4616.12 लाख, एंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन टू पीएफ में 1593.71 लाख, एंप्लॉय कंट्रीब्यूशन टू पीएफ में 2277.91 लाख, वाटर चार्ज में 5962.28 लाख, नगरपालिका कर में 173.47 लाख, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में 4 लाख, जीएसटी रिवर्स चार्ज टैक्स में 215.67 लाख व प्रोफेशनल टैक्स मद में 7.36 लाख बकाया हैं. कंपनी पर वेंडरों के भी करोड़ों रुपए बाकी हैं.
गौरतलब है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) की स्थापना 1963 में हुई थी. एचईसी की स्थापना मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्री (मातृ उद्योग) के रूप में की गई थी. इसके तीन प्रमुख प्लांट हैं- फाउंड्री फोर्ज प्लांट, हेवी मशीन बिल्डिंग प्लांट और हेवी मशीन टूल प्लांट.
इसने पिछले साठ वर्षों के इतिहास में स्टील, सीमेंट, एल्युमीनियम, खनन, खनिज प्रसंस्करण, डिफेंस, इसरो, रेलवे, कोल सेक्टर सहित विभिन्न उद्योगों के लिए अनगिनत संख्या में भारी मशीनरी और उपकरणों का उत्पादन किया है.
इनपुट- आईएएनएस के साथ
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