Ranchi: हेमंत सरकार ने झारखंड ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल रूल 2021 का गठन किया है, जिसे राज्य सरकार ने मंजूरी भी दे दी है. इस नए रूल के तहत टीएसी में राज्यपाल की भूमिका समाप्त कर दी गई है. टीएसी के सदस्यों का मनोनयन मुख्यमंत्री ही करेगें. इसमें एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष के अलावा 18 सदस्य होगें.


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बता दें कि पूर्व में मनोनयन के लिए नाम राज्यपाल को भेजे जाते थे. लेकिन अब मनोनयन का अधिकार राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री में ही निहित कर दिया गया है.


टीएसी के नए नियामावली को मंजूरी दिए जाने के बाद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के कल्याण मंत्री चम्पई सोरेन ने कहा, 'झारखंड में टीएसी का गठन बहुत सोच समझ कर किया गया है. वर्षों से हम लोग आदिवासी उत्थान की बात बोलते आए हैं, उसमें टीएसी का बड़ा दायित्व होता है. बड़ा सोच समझकर निर्णय हुआ है. झारखंड में आज तज आदिवासियों का उत्थान क्यों नहीं हुआ जबकि यहां इतना सन्साधन है, इसे और बेहतर सोच के साथ काम करने के लिए गठन किया गया है. नए एक्ट में जो व्यवस्था बनाई गई है उसमें मुख्यमंत्री को अधिकार दिया गया है इसे दूसरे नजरिए से नहीं देखा जाए. इस पर किसी तरह की आलोचना नहीं होनी चाहिए.'


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इधर, झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि 'हेमंत सोरेन की सरकार ने संविधान की आत्मा के साथ खिलवाड़ किया है. टीएसी के गठन की प्रक्रिया और उसकी मूल भावना को आघात पहुंचाने का काम किया है. संविधान के शेड्यूल 5, पारा चार और सब पारा 3 में इस बात का उल्लेख किया गया है कि ट्राइबल के हित की चिंता राज्यपाल करेंगे और वही राज्यपाल इस गठन की प्रक्रिया को मंजूरी देंगे. साथ ही उस टीएसी के एडवाइजरी कमेटी में चेयरमैन कौन रहेगें ये भी महामहिम राज्यपालन ही तय करेंगे. लेकिन राज्य की सरकार ने टीएसी को पॉकेट की संस्था बनाने के लिए इस प्रकार की प्रक्रिया बनाई है जिससे आदिवासी के हित के साथ खिलवाड़ का प्रयास हो.'