Jharkhand: हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जोरदार बहस, बुधवार को भी होगी सुनवाई
Hemant Soren: ईडी की कार्रवाई को चुनौती देने और अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. करीब दो घंटे तक दोनों पक्षों की ओर से जोरदार बहस हुई. जस्टिस दीपांकर दत्ता और सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन बेंच ने बुधवार को भी सुनवाई जारी रखने का फैसला किया है.
रांची: Hemant Soren: ईडी की कार्रवाई को चुनौती देने और अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. करीब दो घंटे तक दोनों पक्षों की ओर से जोरदार बहस हुई. जस्टिस दीपांकर दत्ता और सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन बेंच ने बुधवार को भी सुनवाई जारी रखने का फैसला किया है. हेमंत सोरेन की ओर से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि जिस जमीन पर कब्जे के आरोप में ईडी ने हेमंत सोरेन के खिलाफ कार्रवाई की है, वह जमीन छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के तहत “भुईंहरी” नेचर की है और इसे किसी भी स्थिति में किसी व्यक्ति को बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता. इस जमीन की लीज राजकुमार पाहन के नाम पर है. इस जमीन पर बैजनाथ मुंडा और श्यामलाल पाहन भी अपना दावा कर रहे हैं. इसलिए यह सिविल डिस्प्यूट का मामला है और इससे हेमंत सोरेन का कोई संबंध नहीं है.
सिब्बल ने कहा कि हेमंत सोरेन पर वर्ष 2009-10 में इस जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया गया है, लेकिन इसे लेकर कहीं कंप्लेन दर्ज नहीं है. अप्रैल 2023 में ईडी ने इस मामले में कार्यवाही शुरू की और सिर्फ कुछ लोगों के मौखिक बयान के आधार पर बता दिया कि यह जमीन हेमंत सोरेन की है. ईडी के पास इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि हेमंत सोरेन ने इसपर कब, कहां और किस तरह कब्जा किया. ईडी की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि बरियातू की 8.86 एकड़ जमीन पर हेमंत सोरेन का अवैध कब्जा है. इस जमीन के कागजात में भले ही हेमंत सोरेन का नाम दर्ज नहीं है, लेकिन जमीन पर अवैध कब्जा पीएमएलए के तहत अपराध है.
इसके पहले ईडी ने कोर्ट के निर्देश पर सोमवार को इस मामले में अपना पक्ष लिखित तौर पर रखा था, जिसमें अंतरिम जमानत की मांग का विरोध करते हुए कहा गया था उन्होंने जांच को बाधित करने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का प्रयास किया है. यहां तक कि उन्होंने ईडी के अधिकारियों के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत "झूठे" मामले दर्ज किए हैं.
ईडी ने कहा कि यदि सोरेन को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है, तो जेल में बंद सभी राजनेता इसी आधार पर “छूट” की मांग करेंगे. चुनाव प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक या कानूनी अधिकार. ईडी ने कहा कि अगर सोरेन की 'विशेष सुविधा' देने की प्रार्थना स्वीकार कर ली जाती है तो किसी भी राजनेता को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता और न ही न्यायिक हिरासत में रखा जा सकता है.
हेमंत सोरेन की याचिका इसके पहले 18 मई को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए पेश की गई थी. उस दिन ईडी की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने इसपर जवाब के लिए समय की मांग की थी और उसपर विस्तृत सुनवाई नहीं हुई थी. इसके बाद कोर्ट ने याचिका को 21 मई को सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था.
बता दें कि रांची के बड़गाईं अंचल में 8.66 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में ईडी ने विगत 31 जनवरी को हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर जेल भेजा था.
इनपुट- आईएएनएस के साथ
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