Jharkhand: डॉक्टर की लापरवाही से हजारीबाग में महिला की मौत, परिजनों ने हॉस्पिटल में की तोड़फोड़
डॉक्टर और अस्पताल की लापरवाही की वजह से हजारीबाग में एक बार फिर एक मरीज को अपनी जान गंवानी पड़ गई. यह मामला हजारीबाग के आशा किरण महिला हॉस्पिटल एंड प्रसूति केंद्र का से सामने आया है.
हजारीबागः डॉक्टर और अस्पताल की लापरवाही की वजह से हजारीबाग में एक बार फिर एक मरीज को अपनी जान गंवानी पड़ गई. यह मामला हजारीबाग के आशा किरण महिला हॉस्पिटल एंड प्रसूति केंद्र का से सामने आया है. जहां पदमा निवासी शीशम देवी को आज से 2 दिन पहले हर्निया और पथरी की बीमारी के इलाज के लिए भर्ती किया गया था.
स्थिति बिगड़ने पर कर दिया रिम्स रेफर
डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी थी और डॉक्टरों ने बताया था कि उनका ऑपरेशन लेजर ट्रीटमेंट के जरिए किया जाएगा. परंतु परिजनों का आरोप है कि लेजर ट्रीटमेंट ना करके डबल ओपन ऑपरेशन कर दिया गया. ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों का नाम विवेक भास्कर और प्रभात किरण है. जब यह मामला दीवाने लगा और मरीज की हालत खराब होने लगी तो डॉक्टरों ने बीच ऑपरेशन में ही बाहर आकर बोला कि इन्हें रांची रेफर करना होगा.
परिजनों ने बोला कि रांची रेफर करने के लिए कुछ टाइम दिया जाए ताकि वह पैसे इकट्ठा कर सके. जैसे ही परिजन पैसे लेने के लिए बाहर गए, तब तक हॉस्पिटल प्रबंधक ने खुद से एंबुलेंस मंगाकर मरीज के साथ मौजूद उनकी बहन और उसके बेटे से डिस्चार्ज पेपर पर साइन करवा कर उसे रांची रेफर कर दिया. वहीं रांची पहुंचने पर रिम्स के डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
वहीं हॉस्पिटल के प्रोपराइटर धीरेंद्र कुमार राज ने बताया कि डॉक्टरों ने अपना पूरा प्रयास किया परंतु पेशेंट थोड़ा पार्टी थी. इसी कारण लेजर ट्रीटमेंट ना करके ओपन ऑपरेशन करना पड़ा. परंतु जब पेशेंट को हमने रेफर किया. उस टाइम उनकी स्थिति ठीक थी और बाद में यह घटना उनके साथ घट गई. इसके लिए वह परिवार के साथ संवेदना व्यक्त करते हैं. परंतु इसमें हॉस्पिटल की कोई गलती नहीं है. हमारे डॉक्टरों ने अपना पूरा प्रयास किया है.
परिजनों ने हॉस्पिटल में की तोड़फोड़
जिसके बाद हॉस्पिटल में कुछ लोगों के द्वारा तोड़फोड़ भी की गई और अभी भी कुछ पेशेंट वहां पर भर्ती हैं. उन्हें देखने के लिए हॉस्पिटल में ना कोई नर्स है ना ही कोई स्टाफ है. यानी कि जो पेशेंट भर्ती है, उनकी भी जिंदगी खतरे में है. अगर अभी उनके साथ कुछ होता है तो उसके लिए भी भर्ती मरीज डॉक्टरों को ही जिम्मेदार मानते है.
(रिपोर्ट-यादवेंद्र मुन्नू)
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