Sawan 2023: अजगैबीनाथ धाम का रोचक है इतिहास, महंत नहीं करते बैद्यनाथ धाम में प्रवेश, वजह उड़ा देगी होश
Sawan 2023: भारत में भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग समेत कई बड़े और खास मंदिर है. जिसकी अपनी महत्ता और अपना इतिहास है. इन खास और पौराणिक मंदिरों में से एक अजगैबीनाथ मंदिर भी शामिल है.
Sawan 2023: भारत में भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग समेत कई बड़े और खास मंदिर है. जिसकी अपनी महत्ता और अपना इतिहास है. इन खास और पौराणिक मंदिरों में से एक अजगैबीनाथ मंदिर भी शामिल है. भागलपुर के सुल्तानगंज उत्तरवाहिनी गंगा तट पर विशाल ग्रेनाइट पत्थर पर अवस्थित अजगैबीनाथ धाम का पुराना और रोचक इतिहास है. मंदिर के बारे में कई मान्यताएं हैं.
बताया जाता है कि मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है. यहां अब तक 18 महंत हुए. पहले महंत सिद्धार्थ नाथ भारती और केदारनाथ थे. दोनों हर दिन उत्तरवाहिनी गंगा से जल लेकर बैद्यनाथधाम जाया करते थे. एक दिन भगवान भोलेनाथ ने ब्राह्मण रूप धारण कर उसने जल मांगा और महंत ने जल नहीं दिया. इसके बाद भी भोलेनाथ महंत के साथ-साथ चलते रहे. महंत ने उन्हें अपने असली रूप में आने को कहा इसके बाद बाबा बैद्यनाथ प्रकट हुए और महंत से कुछ मांगने को कहा, तो दोनों ने कहा हमें अपने चरणों में स्थान दें.
इसके बाद अजगैबीनाथ शिवलिंग के बगल में दो शिवलिंग में से एक महंत केदारनाथ और एक महंत सिद्धार्थनाथ भारती का हुआ. अजगैबीनाथ में सुबह की पूजा बैद्यनाथ के नाम से होती है. सरकारी पूजा के बाद पूजा अजगैबीनाथ के नाम से होती है.
इतिहास के बारे में अजगैबीनाथ मठ के महंत परमानंद गिरि महाराज ने जानकारी दी. उन्होंने यह भी बताया कि महंत सिद्धार्थ नाथ और केदारनाथ के बाद अजगैबीनाथ के कोई भी महंत बैद्यनाथधाम नहीं जाते हैं. जिन्होंने भी जाने का प्रयास किया उनकी आंखों की रोशनी चली गई. एक बार उन्होंने खुद भी जाने का प्रयास किया और उनकी भी आंख की रोशनी कम हो गई. अजगैबीनाथ की पूजा से मन शांत रहता है और मनोकामनाएं भी पूरी होती है. सावन महीने में लाखों श्रद्धालु यहां जल चढ़ाने आते हैं.
इनपुट-अश्वनी कुमार
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