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खूंटी : लेमन ग्रास की खेती के बाद अब खूंटी जिले में ड्रैगन फ्रूट की खेती भी होने लग गई है. ड्रैगन फ्रूट की खेती जमीन और वातावरण के बहुत उपयुक्त मानी जाती है. इसी सोच के साथ मुरहू प्रखंड के अंतर्गत हेडगुआ गांव निवासी जुरन मुंडा ने ड्रैगन फ्रूटी की खेती शुरु की है. जुरान मुंडा का कहना है कि शुरूमें थोड़ा चिंतित था लेकिन मेरे संकल्प ने अद्भुत काम किया और अब मैं अपनी पूरी जगह पर ड्रैगन फ्रूट उगा रहा हूं. फिलहाल पूरे जिले में 25 एकड़ जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा रही है.


लॉक डाउन में शुरु की खेती 
जुरन सिंह मुंडा दूसरे लॉक डाउन के समय एक एकड़ जमीन में ड्रेगन की खेती शुरु की. एक फसल बेचकर एक लाख रुपये से अधिक कमा चुका है. वहीं दूसरी फसल के इंतजार में हैं. यह प्रोटिन और विटामिन से भरपुर महंगी फल वाली फसल लगाकर जुरन काफी खुश है. तीन से चार सौ रुपए किलो बिकने वाले एक फल का वजन चार से पाँच सौ ग्राम तक हो जाता है. यानि एक फल की कीमत 100-200 रुपये होती है. और फूल लगने के एक से डेढ़ माह में फल तैयार हो जाता है.


एक एकड़ में उगाया ड्रेगन फ्रूट्स 
जुरन सिंह मुंडा ने बताया कि उसने एक एकड़ में ड्रेगन फ्रूट्स की फसल लगाई थी. फसल लगाने के लिए पूंजी की कमी थी. इसके बावजूद मेहनत की और फसल ड्रैगन फ्रूट्स का व्यवसाय को आय का जरिया बनाया. वह चाहता है कि सभी लोग इसकी खेती करे और अपनी गरीबी के जीवन को ऊँचा उठाने में कामयाब हो सके.


दूसरे किसानों के लिए आईना बने जुरन सिंह मुण्डा 
वहीं, जनजातीय मामले के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा जनजातीय समुदाय को लाभान्वित और जीवन शैली को उठाने के लिए लगातार क्षेत्रों का भ्रमण कर रहे हैं. 
वहीं, जुरन सिंह मुण्डा के द्वारा स्वयं की परिश्रम और लागत पर बिना किसी के सहयोग से की गयी ड्रैगन फ्रूट्स की खेती का अवलोकन किया. अर्जुन मुंडा ने कहा कि ड्रेगन फ्रूट्स की खेती की शुरुआत जुरन सिंह मुंडा के आय का जरिया तो बनेगा ही, साथ ही दूसरे किसानों को भी फसल उत्पादन का आईना भी बनेगा. 


जिला प्रशासन कर रहा प्रोत्साहित
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन और कृषि विभाग को चाहिए कि ड्रेगन फ्रूट्स की खेती के लिए सभी किसानों को प्रोत्साहित करे. ताकि सभी लोग लाभान्वित हो सके. पूछे जाने पर कि, अफीम खेती वाले इस क्षेत्र में ड्रेगन फ्रूट्स किस प्रकार किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा. इसपर बताया कि निश्चित रूप से ड्रैगन फ्रूट्स की खेती ज्यादा मात्रा में हो तो खूँटी के बाहर के बाजारों में जाएगा. जिससे सभी के लिए कम मेहनत वाली इस फसल से लोग आमदनी का श्रोत बनेगा.


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