Lohardaga News: पहाड़ों में रहने वाले बच्चों को 2 सौ तक का पहाड़ा मुंहजबानी याद रहता है. क्योंकि ये बच्चें पहली कक्षा से पांचवीं कक्षा तक पहाड़ा रटते अपना स्कूली समय काट देते हैं. लोहरदगा जिला के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र और दुरूह इलाके पारखेत सीरम में स्थापित स्कूल शिक्षकों की कमी के बीच 2006 से चल रहा है, दो पारा शिक्षकों के भरोसे यहां पढ़ाई और मध्यान भोजन का संचालन किया जाता है, 


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दो पारा शिक्षकों के भरोसे पढ़ते हैं 128 बच्चे
128 बच्चों को उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय पारखेत में दो पारा शिक्षकों के भरोसे पढ़ना पड़ता है, किताबों से इनका सरोकार कम हो पाता है, इसलिए इनकी वर्तनी और व्याकरण में बहुत कमियां रह जाती है, बच्चें ही बच्चों की कक्षा को संभालते हैं, उन्हें पहाड़ा रटवाने का काम करते हैं, प्रति घंटी प्रति दिन कुछ इसी तरह से कट जाता है, शिक्षकों का कहना है कि शिक्षक की कमी की वजह से इस तरह की समस्याओं का इन्हें रोज़ सामना करना पड़ता है,


जिला शिक्षा अधीक्षक ने क्या कहा, जानिए
जिला शिक्षा अधीक्षक भी शिक्षकों की समस्या की बात स्वीकार करती है, इनका कहना है कि जितने शिक्षक है उन्हीं के माध्यम से तमाम विद्यालयों का संचालन करना होता है, ऐसे में लाइव शिक्षण काम या फिर रिकॉडिंग का सहयोग लेकर बच्चों की शैक्षणिक काम को सहयोग प्रदान किया जा रहा है, बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इस बात का पूरा ख्याल रखा जाता है,


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शिक्षकों की कमी, खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा
झारखंड के पठारी क्षेत्र, शहरी और समतल इलाके में शिक्षकों की कमी का खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है. डीएलईएड और बीएड डिग्री हासिल कर लोग अपने बेहतर भविष्य का इंतजार कर रहे हैं और बच्चें शिक्षकों का. 


रिपोर्ट: गौतम