हजारीबागः हजारीबाग जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित बरकट्ठा प्रखंड क्षेत्र का आदिवासी बहुल धोवारी गांव आज भी विकास की बाट जोह रहा है. ऐसे में गांव के ग्रामीण अब वोट बहिष्कार का मन बना चुके हैं. बदहाल सरकारी सिस्टम और सरकारी बाबुओं की लापरवाही से नाराज ग्रामीणों ने श्रमदान कर न सिर्फ आने-जाने के लिए सड़क बनाई, बल्कि गांव में खोखले वादे कर वोट मांगने वाले जनप्रतिनिधियों और नेताओं की एंट्री पर भी रोक लगा दी है. ग्रामीणों के खुद से श्रमदान कर बनाई सड़क में जब पंचायत के मुखिया गुजरे तो ग्रामीणों ने उन्हें बंधक बना लिया और फिर चुनाव के वक्त किये गये वादों का भी बारी-बारी से हिसाब मांगने लगे.


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एक हजार है धोवारी गांव की आबादी


आदिवासी बहुल बरकट्ठा प्रखंड के चेचकप्पी पंचायत अंतर्गत धोवारी गांव की आबादी लगभग एक हजार है. गांव के ग्रामीण कई बार पंचायत स्तरीय ग्राम सभाओं एवं अपने चुने गये जनप्रतिनिधियों के समक्ष गांव को मुख्यालय से जोड़ने की मांग को लेकर सड़क बनवाने की मांग रखी. प्रशासनिक उपेक्षा और खोखले वादे कर वोट मांगने वाले जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की लापरवाही के कारण ग्रामीणों को आज तक पक्की सड़क नसीब नहीं हुई. ऐसे में हर साल बरसात के बाद धोवारी गांव के महिला और पुरुष श्रमदान कर आने-जाने के लिए सड़क बनाते हैं. इस काम के लिए बरसात का मौसम आते ही लोगों को सड़क बनाने की चिंता सताने लगती है. यह सड़क प्रखंड के डुमरडीहा, बड़गुडीह, पिपराही, लस्करी, अम्बाकोला और चोपाघाट जैसे दर्जनों गांवो को जिला मुख्यालय से जोड़ती है. ऐसे में सड़क के न होने से ग्रामीणो का आवागमन काफी मुश्किल हो जाता है. लोग 2 किलोमीटर तक की सड़क श्रमदान कर बना रहे हैं.


ग्रामीणों का कहना है कि वोट के समय सड़क, शिक्षा, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं को अपना चुनावी एजेंडा बनाकर जनप्रतिनिधि व नेता चुनाव जीतते हैं, लेकिन चुनाव के जीतने के बाद अपने किए वादों को भूल जाते हैं. गांव के ग्रामीणों ने बताया कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले गांव की सड़क का निर्माण नहीं कराया जाता है, तो सभी दर्जनों गांव के ग्रामीण सामूहिक रूप से वोट का बहिष्कार करेंगे. ग्रामीणों ने यह भी बताया कि गांव में सड़क के न रहने से प्रखंड और जिला मुख्यालय आने-जाने में परेशानी होती है. साथ ही दर्जनों गांव बारिश के समय में टापू में तब्दील होकर रह जाते हैं. ऐसे में ग्रामीणों में चुने गए नेताओं और जनप्रतिनिधियों के प्रति खासा नाराजगी है. ग्रामीणों ने जब खुद से श्रमदान कर सड़क बनाई और सड़क बनाने के कुछ घंटे बाद ही उस सड़क से गुजर रहे पंचायत के मुखिया को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया. 


बंधक बनीं चेचकप्पी पंचायत की मुखिया रीता देवी कहती हैं कि वह खुद गांव में सड़क के निर्माण को लेकर प्रयासरत हैं. लगातार विभाग से गांव में सड़क निर्माण की मांग को रख रहे हैं, लेकिन थोड़ा कागजी प्रक्रिया में समय लग रहा है. 


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