Astrology: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में ग्रहों की स्थिति आपके भूत, भविष्य और वर्तमान का आईना होता है.  आपको बता दें कि ज्योतिषी इसी के आधार पर आपकी गणना करते हैं और आपके जीवन के बारे में बहुत कुछ बताते हैं. इसके साथ ही वह आपके जीवन में आनेवाली हर बाधाओं के बारे में भी बताने के साथ उसका निराकरण भी बताते हैं.आपको बता दें कि ज्य़ोतिष के हिसाब से कुंडली के नवग्रहों में से चंद्रमा और बुध ऐसे ग्रह हैं जिसका सीधा संबंध मनुष्य की एकाग्रता से होता है. 


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चंद्रमा जहां मानव के मन का कारक माना गया है वहीं बुध को जातक के मस्तिष्क का कारक माना जाता है. ऐसे में जब मन और बुद्धि दोनों ही कमजोर हो तो ऐसे में आपके बच्चे मंदबुद्धि या काफी सारी सुविधाओं को मिलने के बाद भी पढ़ाई में कमजोर रहते हैं. ऐसे में किसी बच्चे की कुंडली में चंद्रमा और बुध कमजोर हो तो ऐसे बच्चे शैक्षणिक स्तर पर कमजोर होने के साथ करियर में भी असफलता पाते हैं. 


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किसी भी जातक की कुंडली में अगर बुध, 6ठे, 8वें और 12वें घर में विराजमान हो और इस पर गुरु की दृष्टि पड़ रही हो तो ऐसे में जातक की शिक्षा परेशानियों से घिर जाती है. वहीं उसकी पढ़ाई अधूरी रहने की भी संभावना बनती है. वहीं व्यक्ति काफी मेहनत के बाद भी करियर में सफलता नहीं प्राप्त कर सकता है. 


वहीं चंद्रमा मन का कारक होता है और यह उसे प्रभावित करता है. वहीं चंद्र ग्रह का संबंध शिक्षा से भी है ऐसे में किसी जातक की कुंडली चंद्र दोष हो तो ऐसे व्यक्ति की शिक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ता है.  वहीं अगर चंद्रमा के भाव पर गुरु की नजर हो तो ऐसे जातक को थोड़े कम बुरे परिणाम झेलने पड़ते हैं. 


ऐसे में जिन जातकों की कुंडली में बुध और चंद्र कमजोर हो. उन्हें मां सरस्वती की पूजा करने के साथ ही प्रात: प्रतिदिन तुलसी के पत्तियों का संवन करना चाहिए. वहीं भगवान गणपति को हर बुधवार को दूर्वा भी चढ़ाना चाहिए. वहीं बुध को बेहतर बनाने के लिए विद्वान ज्योतिष से सलाह लेकर पन्ना भी धारण करना चाहिए. सूर्य को जल अर्पित करने से भी लाभ मिलेगा. इसके अलावा गायत्री मंत्र का जाप श्रेष्ठकर है. वहीं हर दिन पूजा के समय पीला चंदन माथे, कंठ और सीने पर लगाएं.