Delhi News: किसान आंदोलन के बीच बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से कहा कि वे सीधे कोर्ट आकर अपनी बात रख सकते हैं. अदालत के दरवाजे हमेशा उनके लिए खुले हैं. साथ ही नसीहत दी कि वे किसी के बहकावे में न आएं.
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Farmer Protest: किसान आंदोलन के चलते हरियाणा-पंजाब का शंभू बॉर्डर पिछले 10 महीनों से बंद है. खनौरी में किसानों की मांगें मनवाने के लिए खनौरी में बुजुर्ग किसान नेता जगजीत डल्लेवाल आमरण अनशन पर बैठे हैं. इस मुद्दे पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बॉर्डर पर बैठे किसानों से कहा कि वे सीधे कोर्ट आकर अपनी बात रख सकते हैं. अदालत के दरवाजे हमेशा उनके लिए खुले हैं. किसान खुद या अपने प्रतिनिधि के जरिये कोर्ट में अपनी शिकायत या सुझाव रख सकते हैं. उनकी शिकायत पर कोर्ट दूसरे पक्षों से राय लेकर मामले पर गंभीरता से विचार करेगा. इतना ही नहीं कोर्ट ने डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता जताते हुए पंजाब सरकार को भी चेतावनी दी.
बुधवार को पंजाब सरकार ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच को बताया कि किसान हाई पावर कमेटी से बात करने के लिए तैयार नहीं हैं. रिटायर्ड जज जस्टिस नवाब सिंह की अध्यक्षता में बनाई गई इस कमेटी को MSP समेत दूसरे मुद्दे पर किसानों से बातचीत कर गतिरोध दूर करने का जिम्मा दिया गया था.
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पंजाब सरकार की दलील
पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा कि कमेटी ने 17 दिसंबर को किसानों को बातचीत के लिए न्योता दिया था. हालांकि किसान बातचीत के लिए तैयार नहीं है. सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि किसानों को बातचीत के लिए प्रोत्साहित करे. सुनवाई के दौरान अदालत ने आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की.
पंजाब सरकार के वकील ने बताया कि केंद्र और पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों ने डल्लेवाल से मुलाकात की थी, लेकिन उन्होंने चिकित्सा सहायता लेने से मना कर दिया है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को आगाह करते हुए कहा है कि डल्लेवाल किसानों के हितों की नुमाइंदगी करने वाले जन नेता हैं. उनका वास्ता किसी राजनीतिक दल से नहीं है. अगर उन्हें कुछ होता है तो उसके नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं. इसके लिए पूरी सरकारी मशीनरी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा. कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा कि वो अपनी ओर से कोई कोताही न करे और डल्लेवाल को हरसंभव मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई जाए.
किसानों को भी दी नसीहत
कोर्ट ने किसानों को भी नसीहत दी कि वे किसी के बहकावे में आने से बचें. किसान या बात समझें कि उनकी मांगों के तुरंत पूरी होने से जरूरी जगजीत सिंह डल्लेवाल की जिंदगी है. जब तक वो स्वस्थ हैं, तब तक किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर सकते हैं. लोकतंत्र में आपसी मतभेद हो सकते है, लेकिन सबसे ज़्यादा ज़रूरी उनका स्वस्थ और जीवित रहना है ताकि वह आगे भी किसानों की बात उठा सकें.
इनपुट: अरविंद सिंह