Chhath Puja 2023: छठ का त्यौहार 17 नवंबर से शुरू हो रहा है. आस्था के इस महापर्व में भगवान आदित्य यानी सूर्य की पूजा का विधान है. ऐसे में आपको बता दें कि नहाय-खाय के साथ इस पर्व की शुरुआत होती है और छठ व्रती इस दिन पूरी पवित्रता के साथ इस उत्सव की तैयारी में जुट जाती हैं. इसके ठीक अगले दिन खरना होता है. खरना के पारण के साथ ही छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला कठिन उपवास भी शुरू हो जाता है. 


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ऐसे में आपको बता देते हैं कि इस त्यौहार में खरना का क्या महत्व है. नहाए-खाए के बाद वाले दिन शाम की जो पूजा होती है उसे खरना की पूजा कहते हैं. चूंकि यह पूजा रात के वक्त होती है ऐसे में इसमें केवल सूर्य नहीं बल्कि एक मायने में भगवान चंद्र की भी विनती की जाती है. हालांकि इस दौरान बंद कमरे में व्रती अर्घ्य देने का काम करती हैं. ऐसे में आपको बता दें कि खरना के दिन एकदम ऐसे कमरे में व्रती बंद रहती हैं जहां किसी तरह की कोई आवाज ना पहुंचे. बाहर पूजा देखने आए लोग भी एकदम शांत होते हैं ताकि इस कार्यक्रम में किसी किस्म का विघ्न ना पड़े. इस दिन व्रती सुबह से उपवास रखती हैं और शाम को लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ और चावल की खीर, पूड़ी या जोड़ा रोटी बनाती हैं. 


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इसके साथ ही खीर और मौसमी फल के साथ भगवान भास्कर के पूजा की तैयारी की जाती है और फिर प्रसाद अर्पण किया जाता है. इसके बाद व्रती इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं और फिर अन्य लोगों को यही भोग प्रसाद स्वरूप दिया जाता है. खरना के दिन व्रती का भोजन एक ही समय होता है और यह समय रात का होता है जब व्रती मीठा भोजन करती हैं और तब से ही इस पूजा की शुरुआत हो जाती है.


वैसे नहाय-खाय जैसे बाह्य शुद्धिकरणा का प्रतीक माना गया है. वैसे ही खरना को आत्म या अंदर के शुद्धिकरण का प्रतीक माना गया है. ऐसे में जैसे ही व्रती इस खरना के प्रसाद को ग्रहण करेंगी उनका 36 घंटे का व्रत प्रारंभ हो जाएगा.