Rajyoga: क्या आप राजलक्षण राजयोग के बारे में जानते हैं? माना जाता है बेहद शुभ
वैदिक ज्योतिष की मानें तो आपकी कुंडली में राजयोग का निर्माण कई बार सरल तरीके से होता है जबकि विरले ही कुछ ग्रहों के ऐसे संयोग बनते हैं जिसकी वजह से बना राजयोग आपको मालामाल कर देता है.
Rajyoga: वैदिक ज्योतिष की मानें तो आपकी कुंडली में राजयोग का निर्माण कई बार सरल तरीके से होता है जबकि विरले ही कुछ ग्रहों के ऐसे संयोग बनते हैं जिसकी वजह से बना राजयोग आपको मालामाल कर देता है. ऐसा ही एक योग ज्योतिष के अनुसार राज लक्षण योग है जो काफी प्रचलित है.
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राज लक्षण राजयोग के बारे में ज्योतिष में बताया गया है कि यह योग तब बनता है जब किसी जातक की कुंडली में बृहस्पति, शुक्र, चंद्रमा और बुध सभी केंद्र भाव (1, 4, 7 और 10वें) में स्थित हों. इस योग के बनने से जातक को अच्छा स्वास्थ्य, सौंदर्य, धन, संपत्ति, समृद्धि, मान-सम्मान,पद-प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि जैसी कई चीजें प्राप्त होती है. वैसे इस राजयोग के बारे में कहा जाता है कि यह योग कई बार अप्रत्याशित परिणाम नहीं देता है.
इसके पीछे की वजह यह है कि यह ग्रह तभी प्रभावी रूप से आपके जीवन पर प्रभाव डाल पाएंगे. जब इनमें से तीन ग्रह कम से कम शुभ फल देने वाले हों. अगर कुंडली में दो या दो से अधिक ग्रह अशुभ फल देने वाले हैं तो या नीच के हैं तो यह राजयोग नहीं बनेगा.
हालांकि यह राजयोग अगर किसी जातक की कुंडली में बन रहा है तो यह जबर्दस्त फायदा देने वाला होता है. इनको अचानक सफलता मिलती है और यह मालामात हो जाते हैं. यह योग व्यक्ति के कद को बढ़ाने वाला होता है और इसकी वजह से व्यक्ति महान बनता है. ऐसे जातक के अंदर गुणों की खान होती है, ऐसे जातकों को उनके साथी, सहयोगी और वरिष्ठ लोग सम्मान देते हैं. ये देखने में बेहद आकर्षक होते हैं.
वैसे कुंडली में राज लक्षण योग बना या नहीं इसकी पुष्टि के लिए ग्रहों की स्थिति या उसकी ताकत यानी शक्ति पर विचार करना आवश्यक है. ऐसे में शुभ और अशुभ ग्रहों के प्रभाव से ही इसकी गणना की जाती है. ऐसे में ग्रहों की महादशा या अंतर्दशा भी इस राजयोग पर प्रभाव डालते हैं.