Grahan Yog: कुंडली में ग्रहों की शुभ स्थिति जहां जीवन को शुभ आधार प्रदान करती है वहीं ग्रहों की अशुभ स्थिति किसी का भी जीवन बर्वाद कर देती है. आपको बता दें कि ज्योतिष के अनुसार कुल 300 से ज्यादा तरह के योग कुंडली में बनते हैं. जिनमें से 5 राजयोग होते हैं, वहीं कई शुभ योग भी होते हैं और इसके साथ ही अत्यंत कष्ट देने वाले कुछ अशुभ योग भी होते हैं जिनकी वजह से जातक का जीवन नरक बन जाता है. ऐसे में कुंडली में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. वहीं राहु और केतु दो छाया या पाप ग्रह की श्रेणी में रखे गए हैं. ऐसे में अगर चंद्रमा पर राहु की दृष्टि हो तो ग्रहण योग बनता है. यह जातक के लिए बेहद खतरनाक होता है. 


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जिस जातक की कुंडली में ग्रहण योग हो वह मानसिक और आर्थिक दोनों ही तरह की परेशानियों से गुजरता है. ऐसे में आपको बता दें कि कुंडली में इस योग का निर्माण कैसे होता है. अगर किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा और राहु का दृष्टि संबंध हो तो ग्रहण योग तो बनता ही बनता है. ऐसे में कुछ उपायों के जरिए इस ग्रहण योग के प्रभाव को कम किया जा सकता है.


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चंद्रमा को अगर कुंडली में राहु दूषित कर रहा है तो इसका नकारात्मक प्रभाव आपको मन और सोच पर देखने को मिलेगा. ऐसे में जातक को मानसिक समस्या उत्पन्न हो जाएगी वह कल्पना में जीने के लिए मजबूर होगा. यथार्थ से उसका कोसों तक कोई नाता नहीं रहेगा. ऐसे जातक को बुरे-बुरे सपने आते हैं, मन में अलग किस्म के भय का साया रहता है. बीमारियों को भयंकर मान लेना इनकी आदत बन जाती है. नींद की समस्या उत्पन्न होती है. परिवार के प्रति इनका रवैया भी शकी होता है.  


ऐसे में ऐसे जातकों को सफेद चंदन की लकड़ी के टुकड़े को नीले धागे में लपेट कर अपने गले में बांद लेना चाहिए, इसे शनिवार के दिन धारण करना चाहिए. वहीं प्रतिदिन भगवान शिव की उपासना भी ऐसे जातकों के लिए कल्याणकारी साबित होगा. वहीं ग्रहण दोष से बचने के लिए किसी विद्वान ज्योतिष से सलाह लेकर पन्ना धारण करना चाहिए. ऐसे योग के जातकों के लिए मोती धारण करना विनाशकारी हो सकता है.