Shri Ram Character : भगवान राम को हमारे देश में भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है. वे 'मर्यादा पुरुषोत्तम' यानी सर्वोत्तम मानव हैं, जिन्होंने अपना जीवन मर्यादा में बिताया. भगवान राम के चरित्र में विशेषताएं हैं जो हमें उनके जीवन की उत्कृष्टता का सबक सिखाती हैं.


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सहनशीलता और धैर्य: भगवान राम में अद्वितीय सहनशीलता और धैर्य था. कैकेयी की आज्ञा पर राम जी ने 14 वर्ष का वनवास बिताया और समुद्र पर सेतु बनाने के लिए तपस्या की. उन्होंने राजा होते हुए भी संन्यासी की भावना से जीवन यापन किया, रावण द्वारा माता सीता के अपहरण के बाद भी सहनशील रूप से सही समय की प्रतीक्षा की.


दयालुता: भगवान राम ने अपने दिल में दयालुता का भाव बढ़ाया था. उनका दयालु स्वभाव सभी प्राणियों के प्रति दिखाई देता था, चाहे वह पशु हों या पक्षी. वे सुग्रीव, हनुमान, केवट, निषादराज, जाम्बवंत और विभीषण के प्रति अत्यंत दयालु थे और उन्होंने सभी को अपनी छत्रछाया में लिया.


नेतृत्व क्षमता: भगवान राम एक कुशल राजा और नेता भी थे. उन्होंने अपने साथियों को संगठित रूप से चलने में साहस दिखाया और उनकी नेतृत्व क्षमता ने उन्हें लंका जाने के लिए सेतु बनाने की क्षमता प्रदान की.


मित्रता का गुण: भगवान राम ने अपने मित्रों के साथ सच्ची मित्रता का परिचय दिया. उन्होंने सुग्रीव, हनुमान, केवट, निषादराज, जाम्बवंत और विभीषण के साथ मित्रता बढ़ाई और संकटों में उनके साथ खड़ा रहा.


आदर्श भाई: भगवान राम एक आदर्श भाई भी थे. उनका प्रेम, त्याग और समर्पण उनके भाइयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के प्रति अत्यधिक था. उन्होंने हर मुश्किल में भाइयों के साथ खड़ा होकर उन्हें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया.


भगवान राम के चरित्र से हमें सहनशीलता, धैर्य, दयालुता, नेतृत्व क्षमता, मित्रता और परिवार में समर्पण की महत्वपूर्ण सीखें मिलती हैं. उनके जीवन से हमें यह सिखने को मिलता है कि एक सच्चे मानव कैसे अपने धर्म, नैतिकता और जीवन के मूल्यों का पालन करता है. उसे कैसे अपने जीवन में अमल में लाता है.


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