Shri Giriraj Chalisa Lyrics in Hindi: गोवर्धन पूजा सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे हर साल दिवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा होती है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करता है, उसे जीवन में कभी भी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता है. इस पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा "श्री गिरिराज चालीसा" का पाठ भी है, जिसे पढ़ने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है. गोवर्धन चालीसा का पाठ भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की महिमा का बखान करता है, जिसमें भगवान के भक्तों पर कृपा और रक्षा का वर्णन किया गया है.


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आचार्य मदन मोहन के अनुसार जब इंद्रदेव ने ब्रज पर भारी वर्षा शुरू कर दी थी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर बृजवासियों की रक्षा की थी. यह देखकर इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान कृष्ण से क्षमा मांगी. इस घटना के बाद से ही गोवर्धन पर्वत की पूजा की परंपरा शुरू हुई. इसे "अन्नकूट" पर्व भी कहा जाता है, जिसमें लोग तरह-तरह के व्यंजन बनाकर भगवान को भोग अर्पित करते हैं.


गोवर्धन चालीसा में भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की महिमा का विस्तार से वर्णन है. चालीसा में बताया गया है कि गोवर्धन पर्वत के दर्शन करने और पूजा करने से सभी प्रकार की परेशानियां दूर होती हैं. भक्तजन इस दिन विशेष रूप से गोवर्धन पूजा में शामिल होते हैं और श्री गिरिराज चालीसा का पाठ करते हैं, जिससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है. इस पावन अवसर पर गिरिराज जी की महिमा का गान करके भक्तजन जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव करते हैं.


गोवर्धन पूजा में गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने का भी विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि जो लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं, उन्हें भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद मिलता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस पूजा में दूध, जल, तुलसी पत्र आदि चढ़ाने का भी महत्व है. भक्तजन इस दिन गिरिराज भगवान से अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं.


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