Old Pension Scheme Rule: पुरानी पेंशन योजना नियमों को सरल भाषा में समझाने के लिए हमें देखना होगा कि यह कैसे काम करता है और किस प्रकार से लाभप्रद हो सकता है. पेंशन योजना एक तरह की बचत होती है, जिसमें किसी कर्मचारी या व्यक्ति की उम्र के बाद पैसे मिलते हैं. पुरानी पेंशन योजना में कोई व्यक्ति अपनी नौकरी के दौरान एक निश्चित राशि का पैसा बचाता है और जब वह व्यक्ति वृद्ध हो जाता है या सेवानिवृत्त होता है, तो उसे मासिक पेंशन के रूप में वापस मिलता है. इस पेंशन की राशि उसकी सैलरी और सेवा के दौरान किए गए योगदान पर निर्भर करती है.


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ओल्ड पेंशन स्कीम क्या है?
ओल्ड पेंशन स्कीम जिसे ओपीएस (Old Pension Scheme) भी कहा जाता है. एक पेंशन स्कीम है जिसमें सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन का निर्धारण किया जाता है. इसके तहत कर्मचारियों को उनके सेवानिवृत्त होने पर उनकी आखिरी सैलरी का 50% और महंगाई भत्ता या सेवा के अंतिम दस महीनों में उनकी औसत कमाई का पेंशन दिया जाता है. यह पेंशन स्कीम कर्मचारियों के लिए सुरक्षित होती है और उन्हें अपनी पेंशन में योगदान करने की आवश्यकता नहीं होती है.


क्या राज्य सरकारें ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर सकती हैं?
साथ ही बता दें कि राज्य सरकारें भी ओल्ड पेंशन स्कीम को अपने कर्मचारियों के लिए लागू कर सकती हैं. इसमें केंद्र सरकार की भागीदारी नहीं होती है और अगर राज्य सरकार इसे लागू करती है, तो उसका भुगतान राज्य सरकार के खजाने से किया जाता है. इसमें केंद्र सरकार को कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलती है.


ओपीएस और एनपीएस के बीच क्या है अंतर
ओपीएस (Old Pension Scheme) एक पेंशन स्कीम है जिसमें सरकारी कर्मचारियों को उनकी सेवा की आखिरी सैलरी का 50% और अंतिम दस महीनों की औसत कमाई के हिसाब से पेंशन दी जाती है. इसके लिए कर्मचारियों को कम से कम 10 साल की सेवा देनी चाहिए. साथ ही एनपीएस (New Pension Scheme) एक संवितीय पेंशन स्कीम है, जिसमें सरकार द्वारा नियोक्ता और कर्मचारी दोनों धनराशि में योगदान करते हैं. सरकारी कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10% और उनके नियोक्ता (सरकार) भी 14% तक धनराशि में योगदान करते हैं. यह स्कीम निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी उपलब्ध है, और वे स्वेच्छा से इसमें भाग ले सकते हैं.


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