Parivartini Ekadashi:  हिंदी कैलेंडर के हिसाब से हर महीने में दो पक्ष होते हैं. कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष और हर पक्ष में एक-एक एकादशी की तिथि पड़ती है. ऐसे में हर एकादशी तिथि का अपना विशेष महत्व है. एकादशी की तिथि को चावल सहित कई चीजों का सेवन वर्जित किया गया है. आपको बता दें कि एकादशी की तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है. ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत और पूजन किया जाता है. 


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एकादशी की तिथि के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा का विशेष फल बताया गया है और इससे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद और कृपा जातक को प्राप्त होता है. इससे जीवन में आ रही सारी परेशानियों का भी समाधान मिलता है. 


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भादो के महीने में पड़नेवाली परिवर्तिनी एकादशी के बारे में मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी शयन अवस्था में करवट लेते हैं. इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा गया है. इस बार 25 सितंबर के दिन परिवर्तिनी एकादशी पड़ रही है. इसे जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है. ऐसे में इस दिन ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी त्रिदेव की विशेष पूजा का विधान है. 


25 सितंबर को सुबह 7:55बजे से यह एकादशी शुरू हो रही है. ऐसे में इस दिन विशेष पूजा का समय 9 बजकर 12 मिनट से 10 बजकर 42 मिनट तक है. इस एकादशी को गणेश उत्सव के दिन रखा जाता है. इस व्रत को रखने से वाजपेय यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है. इसका व्रत सोना दान करने के बराबर माना जाता है. इसे तीर्थ दर्शन के बराबर भी माना गया है. इस दिन को ग्यारस भी कहा जाता है.