Shani Margi 2023: शनि चलेंगे सीधी चाल, दुष्प्रभाव से बचने के लिए बस करें ये काम
Shani Margi: ज्योतिष शास्त्र में शनि को संतुलन और न्याय का ग्रह माना जाता है। वे लोगों को उनके कर्मों के आधार पर अच्छा या बुरा फल देते हैं. शनि की शुभ दृष्टि जहां लाभकारी होती है वहीं शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और अशुभ दृष्टि जीवन के लिए अत्यंत कष्टकारी मानी जाती है.
पटना: Shani Margi: ज्योतिष शास्त्र में शनि को संतुलन और न्याय का ग्रह माना जाता है। वे लोगों को उनके कर्मों के आधार पर अच्छा या बुरा फल देते हैं. शनि की शुभ दृष्टि जहां लाभकारी होती है वहीं शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और अशुभ दृष्टि जीवन के लिए अत्यंत कष्टकारी मानी जाती है. आचार्य मदन मोहन के अनुसार हम आपको बता दें कि इस वर्ष कुंभ राशि में वक्री हैं यानी वक्री गति में हैं और 4 नवंबर को वक्री से मार्गी गति में आ जाएंगे. इसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र में शनि को संतुलन और न्याय का ग्रह माना जाता है और यह लोगों के कर्मों के अनुसार ही उन्हें फल देता है.
आचार्य मदन मोहन के अनुसार बता दें कि शनि की चाल से कुछ लोगों को लाभ हो सकता है, लेकिन कुछ को नुकसान भी हो सकता है. इसलिए, शनि के मार्गी होने पर सावधानी बरतनी चाहिए. खासकर उन लोगों के लिए जिनकी कुंडली में शनि की महादशा चल रही है, उन्हें खास उपाय करने की सलाह दी जाती है ताकि शनि का दुष्प्रभाव कम हो सके. शनि के दुष्प्रभावों से बचने के लिए यहां कुछ उपाय दिए गए हैं. बता दें कि हर शनिवार के दिन, सूरज ढलने के बाद एक लोहे की कटोरी में तिल या सरसों का तेल डालें और उसमें 11 साबुत उड़द डालकर 5 मिनट तक पकाएं. फिर इस तेल को शनि मंदिर या हनुमान मंदिर में चढ़ाएं.
साथ ही बता दें कि शनि के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से भी मदद मिल सकती है. हर दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि के दुष्प्रभाव कम हो सकते हैं. शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शिवलिंग का जलाभिषेक करें. शनि के मंत्र 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः' और 'ॐ शं शनिश्चरायै नमः' का 108 जाप करें. 'ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्' मंत्र का हर शनिवार को जाप करना लाभकारी हो सकता है. शनिवार के दिन किसी अपाहिज भिखारी को अन्न दान करें. आपकी जन्मपत्री के आधार पर, ज्योतिषी की सलाह से नीलम धारण कर सकते हैं, क्योंकि नीलम का प्रभाव शनि के दुष्प्रभाव को कम कर सकता है. शनि के मार्गी होने के बाद, पीपल वृक्ष के नीचे जल अर्पित कर गेहूं के आटे से बने दीए और अगरबत्ती जलाएं। यह उपाय हर शनिवार की शाम को करें. आचार्य मदन मोहन का कहना है कि इन उपायों का पालन करके आप शनि के दुष्प्रभाव से बच सकते हैं और अपने जीवन में स्थिरता और सफलता प्राप्त कर सकते हैं. शनि के मार्गी होने पर इन उपायों को अपनाने से आपकी जीवन में सकारात्मक परिवर्तन हो सकता है.