Astrology: भारत ने चंद्रमा के बाद अब सूर्य पर पहुंचने की तैयारी शुरू कर दी है. आपको बता दें कि चंद्रमा पर चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग ने भारतीय वैज्ञानिकों के हौसले बढ़ा दिए हैं. ऐसे में अब आदित्य-एल1 को 2 सितंबर को सूर्य की जमीन पर उतारने के लिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा. 


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आपको बता दें कि ज्योतिष के अनुसार भी किसी भी कुंडली के नवग्रहों में से चंद्रमा और सूर्य दो ऐसे ग्रह हैं जो पूरे जीवन मार्गी ही गमन करते हैं. ये दोनों कभी वक्री नहीं होते और ज्योतिष की गणना में इन दोनों ग्रहों का खास महत्व है. इन दोनों को ही ऐसे देवता के रूप में हिंदू धर्म में पूजा जाता है जिन्हें प्रत्यक्ष रूप से हम देख सकते हैं. 


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ऐसे में चंद्रमा और सूर्य की पूजा का विधान सनातन धर्म में सदा से ही रहा है. ऐसे में सन्तान धर्म में सूर्य को देव की उपाधि दी गई है, यह कुंडली में भी तेज, ऊर्जा, पराक्रम, शौर्य, सफलता का द्योतक है. यह मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा दिलाने के साथ ही जातक को नेतृत्व क्षमता भी प्रदान करता है. सूर्य देव को सिंह राशि का स्वामी माना गया है. वहीं यह मेष राशि में उच्च के होते हैं जबकि तुला राशि में नीच के होते हैं. 


ऐसे में किसी जातक की कुंडली में सूर्य स्वराशि हो या उच्च के हों तो ऐसे जातक को करियर में तेजी से सफलता, मान-सम्मान में वृद्धि, सभी तरह के लाभ के साथ ही प्रशासनिक लाभ भी दिलाते हैं. लेकिन, अगर कुंडली में सूर्य देव पीड़ित हों या नीच के हों तो व्यक्ति को दिल, आंख से जुड़ी घातक बीमारियां झेलनी पड़ती है. साथ ही यह हड्डियों और पित्त से संबंधित बीमारियों के भी कारक हैं. सूर्य पर अगर बुरे ग्रहों का प्रभाव कुंडली में हो तो जातक की कुंडली में पितृ दोष का निर्माण होता है. 


ऐसे में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए तांबे के बर्तन, पीला या लाल कपड़ा, गेहूं, गुड़, माणिक्य या लाल चंदन जैसी चीजों का दान करना चाहिए. वहीं रविवार को व्रत रखा जाए तो इससे सूर्य मजबूत होते हैं. वहीं आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने से भी सूर्य की कृपा मिलती है. वहीं सूर्य को प्रतिदिन स्नान कर अर्घ्य देने से भी खूब लाभ मिलता है. ऐसे में सूर्य देव को अर्घ्य देते समय जल में कुमकुम, लाल फूल, इत्र डालकर अर्घ्य देना चाहिए. वहीं पानी पीने के लिए तांबे के बर्तन का प्रयोग करना चाहिए.