Grah Gochar: क्या है महापराक्रम राजयोग, कैसे जातक के जीवन में भर देता है खुशियां, आसान भाषा में समझें
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक की कुंडली में कई तरह के शुभ और अशुभ योगों का निर्माण ग्रहों की स्थिति की वजह से होता है. इसमें से कुछ ग्रह जब युति करते हैं तो इसकी वजह से राजयोग का भी निर्माण होता है. हालांकि राजयोग का निर्माण किसी भी जातक के जीवन को खुशियों से भर देता है.
Grah Gochar: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक की कुंडली में कई तरह के शुभ और अशुभ योगों का निर्माण ग्रहों की स्थिति की वजह से होता है. इसमें से कुछ ग्रह जब युति करते हैं तो इसकी वजह से राजयोग का भी निर्माण होता है. हालांकि राजयोग का निर्माण किसी भी जातक के जीवन को खुशियों से भर देता है. ऐसे में हम आज आपको मंगल और सूर्य की युति से बनने वाले एक ऐसे राजयोग के बारे में बताएंगे, जिसका निर्माण अगर आपकी कुंडली में हो रहा है तो आपको यह पराक्रमी, साहसी और बलशाली भी बनाता है. दुश्मन भी आपके पराक्रम का लोहा मानने लगते हैं.
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किसी भी जातक के पूरे व्यक्तित्व में बदलाव राजयोग के निर्माण की वजह से होता है. ऐसे में पराक्रम राजयोग के बारे में आपको बता रहे हैं जो ग्रहों के सेनापति मंगल और ग्रहों के राजा सूर्य की युति की वजह से बनता है. वैसे आपको बता दें कि सूर्य और मंगल दोनों का अग्नि तत्व ग्रह माना जाता है. दोनों ही ग्रह ऊर्जावान ग्रहों की श्रेणी में आते हैं.
ऐसे में सूर्य और मंगल के योग से बनने वाले राजयोग को महापराक्रम राजयोग कहा जाता है. मंगल को ऊर्जा, साहस, निडरता और बल का सूचक ग्रह माना जाता है. जबकि सूर्य लीडरशिप, आत्मविश्वास, ज्ञान और राजसी जीवन का प्रतीक ग्रह माना जाता है.
ऐसे में मंगल और सूर्य एक ही घर में बैठे हों तो जातक के जीवन में इन दोनों के गुण साफ झलकने लगते हैं. अभी मंगल और सूर्य वृश्चिक राशि में मौजूद हैं ऐसे में यह राजयोग बना हुआ है. मंगल और सूर्य तीसरे घर में युति करे तो फिर बता दें कि ऐसे लोग परम साहसी हो जाते हैं. ये दोनों ग्रह अगर कुंडली के एक घर में ही मित्र भाव में बैठे हों तो ऐसे जातक को दोनों मिलकर अदम्य साहस और लीडरशिप का प्रतीक माना जाता है.