BPSC शिक्षक नियुक्ति में बड़ा फर्जीवाड़ा, चयनित अभ्यर्थी की जगह गलत तरीके से फर्जी शिक्षकों की हुई बहाली
Samastipur News: बीपीएससी शिक्षकों की बहाली में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया है. बीपीएससी परीक्षा में कड़ी निगरानी के बावजूद फर्जीवाड़े की प्रक्रिया हुई है.
समस्तीपुरः Samastipur News: बिहार में बड़े पैमाने पर बीपीएससी शिक्षकों की बहाली की गई. टीआरई 2 में 1 लाख 22 हजार पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन लिए गए थे. टीआरई 2 में समस्तीपुर 2 हजार 400 शिक्षकों की बहाली की गई. शिक्षक बहाली प्रक्रिया में इतनी जांच और पारदर्शिता के बाबजूद बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया. यहां चयनित अभ्यर्थी की जगह फर्जी अभ्यर्थियों की बहाली की गई. शिक्षक बहाली की प्रक्रिया पूरी होने के लगभग आठ महीने बाद मीडिया के माध्यम से मामला उजागर होने के बाद से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है.
सूत्रों की मानें तो इस फर्जीवाड़े में विभाग के कर्मी के अलावा काउंसलिंग प्रक्रिया में प्रतिनियुक्ति किए गए कई शिक्षक की भूमिका भी संदिग्ध है. बड़ा सवाल है कि इतनी पारदर्शिता के बावजूद आखिर कैसे इस प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा किया गया. जरा इस खेल को भी समझ लीजिए.
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बीपीएससी परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की लिस्ट जारी होने के बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद अभ्यर्थियों का बायोमेट्रिक थम्ब लिया गया था, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में शामिल शिक्षा विभाग के कर्मियों के द्वारा चयनित बीपीएससी शिक्षक परीक्षा में चयनित अभ्यर्थी को ज्वाइन नहीं करने पर उसका रोल नंबर और कैंडिडेट की आईडी पर फर्जी शिक्षक की बहाली कर दी गई. दोनों अभ्यर्थियों के एडमिट कार्ड पर जरा गौर कीजिए.
मीरा कुमारी नाम के अभ्यर्थी का बीपीएससी शिक्षक परीक्षा के सफल अभ्यर्थी की सूची में दर्ज है. जबकि रंजना कुमारी का नाम इस सूची में दर्ज नहीं है. मीरा कुमारी ने किसी कारण विद्यालय ज्वाइन नहीं किया. इसकी जगह किसी अन्य अभ्यर्थी को ज्वाइन करा दिया गया. हैरान करने वाली बात है कि दोनों कैंडिडेट के एडमिट कार्ड पर रोल नंबर और कैंडिडेट आईडी एक है. अब कैंडिडेट के सिग्नेचर के स्थान पर नजर डालिए. फर्जी शिक्षक के एडमिट कार्ड पर सिग्नेचर वाली स्पेस चयनित कैंडिडेट से अलग है.
फर्जी अभ्यर्थी के फॉर्म के क्यूआर कोड को ब्लर कर दिया गया है. जिससे अभ्यर्थी की सही जानकारी नहीं मिल सकती है. अब दोनों फार्म के नीचे डीईओ के हस्ताक्षर पर भी गौर फरमाइए. एक में डीईओ के सील के साथ ब्लू कलर के हस्ताक्षर है. जबकि फर्जी में बिना सील के ब्लैक कलर के हस्ताक्षर नजर आ रहे है. वहीं इस पूरे मामले पर शिक्षा विभाग के डीपीओ स्थापना इस पूरे मामले पर अभिज्ञता जताते हुए कहा कि मीडिया के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली है. अब पूरे मामले की जांच की जाएगी. डीपीओ का कहना है कि नवनियुक्त 95 प्रतिशत बीपीएससी शिक्षकों का थम्ब लिया जा चुका है. कुछ शिक्षकों का किसी न किसी कारण से अभी भी बाकी है.
ऐसे में अब देखने वाली बात है कि इतनी पारदर्शिता के बावजूद इस खेल को कैसे और किसके द्वारा अंजाम दिया गया? अब मामला उजागर होने के बाद शिक्षा विभाग दोषी अधिकारी और कर्मियों पर कार्रवाई करती है या फिर जांच में ही मामला सुलझा कर रह जाती है.
इनपुट- संजीव नैपुरी
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