रांची : केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में गरीब सवर्णों को आरक्षण के दायरे में लाने के फैसले का झारखंड की राजधानी रांची में सवर्ण समाज के लोगों ने स्वागत किया. लोगों ने मोदी सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक कदम बताया. वहीं, विपक्षी पार्टियों पर तंज भी कसा है. लोगों का कहना है कि कांग्रेस 70 वर्षों से सवर्ण समाज के साथ भेदभाव कर रही थी.


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सरकारी स्कूल में शिक्षक सुनील कुमार झा ने कहा कि मेरा जो अनुभव है उसके मुताबिक सही मायने में सवर्णों को आरक्षण की जरूरत है. उनके पास जमीन और धन की कमी है. पढ़े-लिखे होने के बावजूद नौकरी नहीं मिल पाती है. उन्होंने कहा कि समाज के गरीब लोगों को आरक्षण मिलनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि इस फैसले का तत्काल फायदा तो मिलेगा, लेकिन मेरी राय है कि आरक्षण व्यवस्था को ही खत्म कर देनी चाहिए.


रांची निवासी दीपक कुमार चौधरी ने कहा कि मैं आरक्षण व्यवस्था का विरोधी हूं. योग्यता ही आधार होनी चाहिए. सरकार के निर्णय को उन्होंने राजनीतिक कदम बताया है. साथ ही उन्होंने पूरी आरक्षण व्यवस्था को ही समाप्त कर देनी चाहिए.


वहीं, धीरज कुमार ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि 70 वर्षों की मांग पूरी हुई है. साथ ही उन्होंने कहा कि देश ऐसा बने कि आरक्षण की जरूरत नहीं हो. उन्होंने कांग्रेस से बिल का समर्थन करने की अपील की है. इसके अलावा उन्होंने आर्थिक स्थिति पर आरक्षण की व्यवस्था होने की बात भी कही. उन्होंने कहा कि अभी तक सरकार की सवर्णों को लेकर राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी. उन्होंने मोदी सरकार को इसके लिए बधाई दिया है.


झारखंड विधानसभा में कार्यरत मनोज कुमार ने कहा कि मैंने बहुत राजनीति उठापटक देखा है. उन्होंने आरक्षण व्यवस्था पर ही विराम लगाने की वकालत की है. साथ ही उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने जो कदम उठाया है वह स्वागतयोग्य है. इसे जाति विशेष को रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. हर गरीब को आरक्षण मिले. अभी तक राजनीतिक लाभ के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई थी. इस व्यवस्था पर ही पूर्ण विराम लगनी चाहिए.