सुपौलः Supaul News: बिहार के सुपौल की पंचायती राज व्यवस्था के तहत पंचायतों को और ज्यादा सशक्त बनाने के लिए सरकार ने हर पंचायत में पंचायत सरकार भवन की स्थापना की. जहां सरकार द्वारा संबंधित पंचायत के लोगों को तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ भी उसी पंचायत सरकार भवन के माध्यम से देने का निर्देश दिया गया. ताकि सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए उस पंचायत के लोगों को प्रखंड कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़े. अधिकांश पंचायतों में पंचायत सरकार भवन बनकर तैयार हो गया है. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण अधिकांश पंचायत सरकार भवन के माध्यम से उन पंचायत के लोगों को इसका लाभ आज भी नहीं मिल पा रहा है.


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विभागीय सूत्र की माने तो हर पंचायत में करीब डेढ़ करोड़ की लागत से पंचायत सरकार भवन बनाया गया. जिसे अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया। इस भवन में पंचायत स्तर के तमाम अधिकारी और कर्मी के बैठने की व्यवस्था की गई. जिसमे पंचायत सचिव, आई टी सहायक, लेखापाल, आवास सहायक, किसान सलाहकार विकास मित्र और ग्राम कचहरी का ड्यूटी रोस्टर के अनुसार लगाई गई. 


बताया गया कि इस पंचायत सरकार भवन में 52 तरह की सेवाएं उपलब्ध कराने की योजना रही है. जानकार कहते हैं कि पंचायत सरकार भवन में कार्य शुरू होने से आम लोगों को रसीद कटाने, जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र आवासीय प्रमाण पत्र वृद्धावस्था पेंशन सहित तमाम योजनाओं के लिए प्रखंड कार्यालय का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण आलम यह है की कई पंचायतों में पंचायत सरकार भवन बने वर्षों गुजर जाने के बाद भी समुचित रूप से इन पंचायत सरकार भवनों में कार्य सुचारू ढंग से नहीं हो पा रहा है. जिले के कई पंचायतों में कमोबेश यही स्थिति है.


यह तस्वीर पिपरा प्रखंड के अमहा पंचायत का है. भवन और कमरों की स्थिति देख कर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है. कमरों में फैली गंदगी, शौचालयों के टूटे और बिखर सामान ग्राउंड में फैली जंगली घास और खंडहर जैसे दिखाई दे रही पंचायत सरकार भवन की बदहाली की कहानी बयां कर रही है. हालांकि खबर संकलन के दौरान पंचायत सरकार भवन अमहा के मुख्य द्वार में ताला लगा हुआ था. 


इस बीच ग्राउंड के पास पहुंचे अमहा मुखिया सीता देवी के प्रतिनिधि छोटेलाल दास ने बताया कि 15 दिन एक माह में कभी कभार इसमें बैठक होता है. उन्होंने कहा कि बीती वर्षो में इसमें चोरी की घटना हुई थी. जिसमे अधिकांश कीमती सामान चोर चुरा ले गए. तब से सामान आया ही नहीं जिसके चलते यहां काम नहीं होता है. कहा की उच्चाधिकारी को इससे अवगत कराया गया है लेकिन अब तक सामान मुहैया नहीं कराया गया। जिसके चलते वर्षों से यहां काम काज नहीं होता है. अब सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार के इस दूरगामी योजना का क्या हश्र है.
इनपुट- सुभाष चंद्रा, सुपौल


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