झारखंड विधानसभा में चुनाव-दर-चुनाव बढ़ती रही है `आधी आबादी`
झारखंड विधानसभा में चुनाव-दर-चुनाव महिलाओं की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है. इस चुनाव में 10 महिलाएं जीती हैं, जिसमें छह ऐसी महिलाएं हैं, जो पहली बार विधानसभा पहुंची हैं.
रांची: झारखंड विधानसभा में इस बार 'आधी आबादी' की समस्याएं भी खूब गूंजेंगी, क्योंकि पहली बार विधानसभा चुनाव में 10 महिला प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. यही कारण है कि इस विधानसभा में अब महिलाओं की समस्याएं भी उठेंगी.
झारखंड विधानसभा में चुनाव-दर-चुनाव महिलाओं की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है. इस चुनाव में 10 महिलाएं जीती हैं, जिसमें छह ऐसी महिलाएं हैं, जो पहली बार विधानसभा पहुंची हैं.
झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में कुल 127 महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमाने उतरी थीं, परंतु 10 महिलाओं का ही विधानसभा पहुंचने का सपना साकार हो सका है. विधायक रह चुकीं डॉ़ नीरा यादव, सीता मुर्मू, जोबा मांझी तथा अपर्णा सेन गुप्ता की आवाज फिर से झारखंड विधानसभा में गूंजेगी. इधर, अंबा प्रसाद, पुष्पा देवी, सबिता महतो, पूर्णिमा नीरज सिंह, दीपिका पांडेय सिंह, और ममता देवी पहली बार राज्य विधानसभा पहुंची हैं.
झारखंड बनने के बाद वर्ष 2005 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में वैसे तो 94 महिला प्रत्याशी मैदान में थीं, परंतु पांच ही जीत हासिल कर विधानसभा पहुंच पाई थीं. इसके बाद यहां के मतदाता आधी आबादी की साझेदारी बढ़ाते रहे हैं.
झारखंड में 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने विभिन्न पार्टियों के आठ महिला प्रत्याशी को विजयी बनाया और विधानसभा में आधी आबादी की साझेदारी पिछले चुनाव की तुलना में बढ़ गई. 2009 के चुनाव में 107 महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में थीं.
महिला विधायकों का यह ग्राफ 2014 के चुनाव में भी बढ़ा, जब इनकी संख्या नौ तक जा पहुंची. इस चुनाव में 111 महिलाएं चुनावी मैदान में उतरी थीं. उल्लेखनीय है कि सिल्ली और गोमिया में हुए उपचुनाव में मतदाताओं ने महिला प्रत्याशियों- क्रमश: झामुमो की सीमा देवी व बबीता देवी को विजयी बनाकर विधानसभा पहुंचाया, जिससे विधानसभा में महिलाओं की कुल संख्या 11 तक जा पहुंची थी. इस चुनव में गीता कोड़ा, सीता सोरेन, नीरा यादव, निर्मला देवी, मेनका सरदार, गंगोत्री कुजूर, बिमला प्रधान और जोबा मांझी चुनकर विधानसभा पहुंची थीं.