कटिहार: ऑफकोर्स मैं पैदा एक लड़का हुई थी. मेरा नाम पंकज सिंह था. बिहार के लक्ष्मीपुर के एक छोटे से गांव में एक सरदार सिख परिवार में जन्म हुआ. हालांकि, वह काफी कंजरवेटिव फैमिली थी जहां ज्यादातर फैसले मां-बाप ही लेते हैं. लेकिन फिर भी आज इस मुकाम पर हूं. यह बोल हैं लड़का पैदा हो कर आज एक्टिंग की दुनिया में झंडे गाड़ने वाली नव्या के जिन्होंने कई सीरियल और रियालिटी शो में काम किया है.


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दरअसल, बिहार के कटिहार में नव्या का जन्म एक लड़के के रूप में हुआ था. तब उनका नाम पंकज सिंह था. छोटे से गांव से निकला छोरा, मुंबई की चकाचौंध नगरी में गोरी छोरी बन कर कमाल दिखा देता है. लाइफ ओके चैनल पर सावधान इंडिया के मुख्य पात्र के रूप में काम हो या मिस ट्रांस क्वीन इंडिया के ब्रांड अंबेसेडर का काम. या फिर कई टीवी सीरियल में बतौर मुख्य पात्र काम करना, पंकज जो अब नव्या बन चुकी हैं, उन्होंने हर जगह कामयाबी की नई इबारत लिखी. 


नव्या ने कहा- मुंबई ने दिलाई पहचान
इस पर जब नव्या से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि गांव समाज में जो बच्चे को प्यार मिलता है, कहीं न कहीं वो प्यार मुझे नहीं मिला. हमेशा मेरी आवाज की वजह से, फेमिनिटी की वजह से, मेरा मजाक उड़ाया जाता था. मुझे फील होने लगा था कि मैं औरों से अलग हूं. मैंने मुंबई जाने का फैसला कर लिया और वहां से मेरा सफर नव्या सिंह के रूप में शूरू हो गया.


उन्होंने कहा कि मुंबई जैसे शहर में मुझे इज्जत भी मिली. मुझे फेम भी मिला और पेमेंट भी. मेरा एक सपना था कि मुझे एक लड़की बन जाना है. पैसे आते रहे तो मैंने हार्मोन ट्रीटमेंट लेना शुरू किया. अच्छी जगह रहना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे सफलता की सीढ़ियां चढ़ने लगी.


कभी-कभी डिप्रेशन में चली जाती थी- नव्या
नव्या आगे कहती हैं कि वह बॉम्बे टाइम्स में अर्चना कोचर के लिए शु टॉपर वाक कर चुकी हूं. 11 साल खुद पर मेहनत का फल मिला है. उन्होंने बताया- जब मैं हॉर्मोन्स लेती थी तो मेरा माइंड बहुत स्विंग होता था. मैं डिप्रेशन में चली जाती थी. मैं फेमिली से बहुत दूर थी. किन्नर बहुत अलग होते हैं, जिनका लिंग काफी अलग होता है. मैं एक लड़का थी, लड़का से एज य ट्रांजिशन से डाक्टरियेट ट्रीटमेंट से फीमेल बनी हूं.


नव्या की मां ने कहा- गर्व है मेरी बेटी कहने पर
इस पर नव्या की मां परमजीत कौर ने कहा कि जब शुरू में आई थी तो हमको लगता था कि आसमान का तारा मेरे घर में आ गया. बेटियां जैसे करती थी न ऐसे ही करती थी. चाहती थी कि हम एक मॉडल बनेंगे. बेटा आज बेटी बन गया है. जितना इलाज की अपने पैर पर खड़ा होकर की, कमा के मैनेज की. बॉम्बे से दिल्ली जयपुर चंडीगढ़ जाती है शो करने. मां-बाप को आज फ्लाइट में घुमाती हैं. अब गर्व से कहती मेरे एक लड़की दो बेटे हैं.


होर्मोनल चेंज का बेड़ा उठाना बहुत बड़ी बात
महिला चिकित्सक डॉ. अनामिका पांडेय कहती हैं कि कहा जाता है कि हमारे देश मे लड़कियां पीछे रह जाती हैं. नव्या ने एक लड़का रहते हुए खुद को लड़की बनाया. इसके बाद वो इतना आगे बढ़ पाई हैं. इससे रिलेटेड मेडिकल फील्ड की बात करें तो स्त्री-पुरुष की बनावट में कैसे काम करते हैं, उसमे बहुत अंतर होता है. लड़के से लड़की बनना काफी मुश्किल काम है. 


उन्होंने कहा कि सारी सर्जरी, सारे होरमनल्स चेंजेज के जरिए उस व्यक्ति को जाना पड़ेगा. इसके अलावा फीमेल्स के जो होरमन्स-मूड्स होते हैं, बहुत सारी लड़कियों वाली प्रॉब्लम्स को उनको सामना करना पड़ेगा. इसके बावजूद उन्होंने इतना बड़ा कदम उठाया. बहुत बड़ी बात है.