हाजीपुर: बिहार के वैशाली जिले के हाजीपुर का कौनहारा घाट हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं का स्वागत करता है. इस ऐतिहासिक घाट पर लगने वाला 'भूतों का मेला' न केवल देश में बल्कि विश्व भर में चर्चा का विषय बन चुका है. इसे आस्था और अंधविश्वास का अद्भुत संगम कहा जा सकता है, जहां लोग भूत-प्रेत और तंत्र-मंत्र से जुड़ी परंपराओं का अनुभव करने आते हैं.


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आस्था और विज्ञान के बीच खिंचा
जानकारों के अनुसार जहां देश विज्ञान और तकनीक में नए-नए आयाम स्थापित कर रहा है, वहीं हाजीपुर का यह मेला तंत्र और मंत्र विद्या की गहराई को लेकर अपनी अलग पहचान बनाए हुए है. इस मेले में श्रद्धालु गंगा में स्नान कर अपनी आत्मा की शुद्धि का अनुभव करते हैं और भूत-प्रेत व तंत्र-मंत्र से जुड़ी कहानियों का हिस्सा बनते हैं. इस मेले में तांत्रिकों और साधकों का जमावड़ा होता है, जो अद्भुत और रहस्यमय साधनाएं करते हैं.


मेले में दिखता है तंत्र-मंत्र का प्रदर्शन
इसके अलावा यहां तांत्रिक और औघड़ तरह-तरह के कारनामे करते नजर आते हैं. कोई अपने मुंह में बल्ब चबाते हुए दिखता है तो कोई लोहे की सुइययां पैरों में डालकर बिना खून बहाए यह दावा करता है कि यह भगवान की शक्ति है. महिलाएं भी अपनी कठिन साधनाओं और अनोखे करतबों से लोगों का ध्यान आकर्षित करती हैं. घाट के पास जलती चिताओं के बीच साधक अपने अनुष्ठानों में लीन रहते हैं.


मेले में दिखा लाखों श्रद्धालुओं का सैलाब
कार्तिक पूर्णिमा के इस अवसर पर हाजीपुर के कौनहारा घाट पर लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए उमड़ते हैं. पटना, मुजफ्फरपुर और अन्य शहरों से आने वाले लोग यहां आकर गंगा में डुबकी लगाकर अपनी आस्था को मजबूत करते हैं. प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं. एसडीआरएफ की टीम से लेकर घाट पर बैरिकेडिंग और साफ-सफाई का ध्यान रखा जाता है ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो.


आस्था का अनोखा अनुभव
हाजीपुर का यह मेला भले ही अंधविश्वास की झलक दिखाता हो, लेकिन यह उन लोगों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है, जो मानते हैं कि इन परंपराओं के जरिए उनकी समस्याएं दूर हो सकती हैं. कौनहारा घाट की ये अनोखी परंपराएं हमें समाज के अलग-अलग पहलुओं से रूबरू कराती हैं. यह मेला केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और विश्वास का एक जीवंत उदाहरण है.