गया: पौराणिक कथा के मुताबिक गया से बहने वाली फल्गू नदी को माता सीता का श्राप है. इसकी वजह से उसका पानी सतह पर नहीं बहता है. नदी को अंत: सलिला कहा जाता है, लेकिन बिहार सरकार ने अब योजना बनाई है कि फल्गू नदी का पानी सतह पर बहे. इसके लिए विशेषज्ञों की टीम का गठन किया गया है. इसकी घोषणा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की है.


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गया के गांधी मैदान में सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar)  ने कहा कि हम केवल गया में गंगा जल को ही नहीं ला रहे हैं. हमारी कोशिश है कि गया से बहने वाली फल्गू नदी का पानी सतह पर बहे. नदी को माता सीता का श्राप है, जिसकी वजह से उसका पानी सतह पर नहीं बहता है. ऐसी मान्यता है, लेकिन हमारी सरकार सतह पर पानी आए और धारा बहे. इसके लिए काम कर रही है. विशेषज्ञों की टीम का गठन किया गया है.


मुख्यमंत्री ने कहा कि टीम इस बात का अध्ययन करेगी, कैसे ऐतिहासिक फल्गू नदी में धारा बहे. इसके लिए जरूरी होगा, तो विष्णुपद मंदिर के आसपास के इलाके में नदी की खुदाई का काम भी कराया जाएगा, जो बात सामने आएगी, उसके हिसाब से कार्य योजना बनाई जाएगी. जल संसाधन मंत्री संजय झा ने भी कहा कि ये भी महत्वाकांक्षी योजना है, जो पितरों का तर्पण करने वाले श्रद्धालुओं को काफी सुविधा देगी.


क्या है सीता जी का श्राप?
माना जाता है कि जब भगवान राम के साथ सीता और लक्ष्मण वन के लिए आए थे, तो उसी दौरान उन्हें दशरथ की मृत्यु की सूचना मिली थी. माना जाता है कि तब सीता ने फल्गू नदी के बालू से पिंडदान किया था, जिसके पांच साक्षियों में फल्गू नदी भी थी, लेकिन जब मौका आया, तो फल्गू ने झूठ बोल दिया था.


तभी सीता जी ने श्राप दिया था कि जाओ तुम्हारा पानी कभी सतह पर नहीं बहेगा. माना जाता है कि तभी से फल्गू नदी की धारा जमीन की सतह की जगह अंदर से बहती है. यहां आनेवाले श्रद्धालु जब नदी की धारा में जमीन को खोदते हैं, तो उन्हें अंदर पानी मिलता है.