बिहार में पत्थर की नक्काशी बहुत प्राचीन, इन जिलों से है खास कनेक्शन

Shailendra
May 30, 2024

परंपरा प्राचीन

बिहार में पत्थर तराशने की परंपरा बहुत प्राचीन है. इस शिल्प ने मौर्य काल के दौरान अपनी चरम सीमा हासिल की.

जहानाबाद

इसके बेहतरीन उदाहरण जहानाबाद जिले में बराबर और नागार्जुनी पहाड़ियों की चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाएं हैं.

कलात्मक क्वालिटी

कई स्तूप और मठ बिहार के कारीगरों की बेहतरीन कलात्मक क्वालिटी के महान प्रदर्शन के रूप में खड़े हैं.

पत्थर की नक्काशी

बिहार की सबसे प्रसिद्ध पत्थर की नक्काशी में गुप्त काल के मुंडेश्वरी मंदिर परिसर के साथ लौरिया नंदनगढ़ और कोलुहा में अशोक स्तंभ हैं.

पत्थरकट्टी

यह कला गया जिले के पत्थरकट्टी में प्रचलित है.

प्रमुख केंद्र

यह बिहार में पत्थर शिल्प के प्रमुख केंद्रों में से एक है.

कच्चा माल

इस शिल्प में प्रयुक्त मूल कच्चा माल संगमरमर और ग्रेनाइट है.

अनूठा उत्पाद

यह कारीगरों की तरफ से हस्तनिर्मित एक अनूठा उत्पाद है और शिल्प है.

आजीविका

यह शिल्प बिहार के गया जिले में नियमित आधार पर लगभग 500-700 कारीगरों के परिवारों को आजीविका प्रदान करता है.

पत्थर शिल्प

बिहार में पत्थर शिल्प के अन्य केंद्र नालंदा, कैमूर और पटना में हैं.

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