2 दिन पहले नेपाल से आई थी तबाही, अब मरहम लगाने की आ गई बारी, बचाव कार्य में जुटा पूरा अमला
Bihar Flood: बाढ़ का खतरा कुछ कम हुआ तो पश्चिम चंपारण जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य में तेजी ला दी और सामुदायिक किचन शुरू करते हुए यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि कोई भी भूखा न रहे और बिना दवाइयों के न रहे.
Bihar Flood: नेपाल से आई आफत और कुदरत के कहर की फ्रीक्वेंसी अब कुछ कम होती दिख रही है. इस बीच पश्चिम चंपारण जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग की टीम ने राहत और बचाव कार्य में तेजी दिखाते हुए प्रभावित इलाकों में मेडिकल कैंप, राहत शिविर और सामुदायिक किचन की व्यवस्था कराई है. ऐसा होने से प्रभावित लोगों को दोनों टाइम भोजन के अलावा पानी और दवा की सुविधा मिल सकेगी. दो दिन पहले नेपाल से 6.40 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद नेपाल से भारत में आने वाली नदियों में जलस्तर खतरे के निशान को पार करते हुए विकराल रूप ले लिया था. इससे दियारा के इलाकों में तबाही मच गई थी और हजारों लोग बेघर हो गए थे.
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सैलाब के बीच रविवार क़ो टूटे चखनी के खैरटवा चम्पारण तटबंध क़ो बनाने की भी कवायद तेज़ क़र दी गई है. ख़ुद डीएम दिनेश कुमार राय ने बीती रात स्थलीय निरीक्षण कर युद्धस्तर पर बचाव कार्य करने के निर्देश दिए हैं. इसकी शुरुआत भी हो गई है. विधायक राम सिंह भी बाढ़ पीड़ितों के बीच राहत सामग्री लेकर पहुंचे. इस बीच तेज़ी से घटता नदी का जलस्तर न केवल अफसरों के लिए बल्कि ज़िलेवासियों के लिए राहत भरी ख़बर है.
बताया जा रहा है कि शनिवार क़ो वाल्मीकिनगर गंडक बैराज से सर्वधिक 5.60 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हुआ था. इससे निचले इलाकों में तबाही मच गई और सैकड़ों लोग बेघर हो गए थे. लिहाजा जिनके घरों में पानी घुसा, वे सामुदायिक भवन या स्कूलों समेत सड़क किनारे शरण लिए हुए हैं. ऐसे लोगों को राहत कैंपों में पहुंचाया जा रहा है और खाने—पीने से लेकर हेल्थ चेक अप की व्यवस्था की जा रही है.
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गंडक नदी तट समेत दियारा के निचले इलाकों औऱ चम्पारण तटबंध किनारे बसे लोगों के बीच राहत शिविर में सामुदायिक किचन चलाया जा रहा है. वहीं गंडक नदी के डिस्चार्ज में भारी गिरावट दर्ज़ की गई है. मौसम भी साफ़ होने लगा है, जो बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत भरी खबर है.
बगहा से इमरान अज़ीज़ी की रिपोर्ट