'जीवन मे निश्वार्थ भाव से, थोड़ा कुछ करके देखो, किसी गैर के पोंछ के आंसू, उसे गले लगा करके देखो, भूखे को दो वक्त की रोटी, जरा खिलाकर के देखो, भूल जाओगे कष्ट तुम्हारे, उसे जरा हँसाकर तो देखो.' मदद की भाव वाली ये लाइनें हमारे जिला संवाददाता धनंजय द्विवेदी पर बिल्कु​ल फिट बैठती हैं. बाढ़ की विभी​षिका और उससे तबाह हुए लोगों की आंखों की तकलीफ तो वर्षों तक सालती रहेगी पर धनंजय द्विवेदी ने कुछ दुखियारों के दुख को कम करने की कोशिश जरूर की है. बाढ़ की रिपोर्टिंग के दौरान धनंजय ने देखा कि कैसे छोटे छोटे बच्चों के पास पहनने को कपड़े तक नही हैं. सैलाब आया और सब कुछ बहाकर ले गया. 


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पश्चिमी चंपारण के योगापट्टी प्रखंड के चौमुखा जरलपुर पंचायत के दर्जनों गांव में हालात भयावह बन गए थे. यहां एसडीआरएफ की टीम को उतरना पड़ा और 400 लोगों को रेसक्यू किया गया. यहां छोटे छोटे बच्चों को को बिना कपड़ों में देख धनंजय द्विवेदी ने अपनी तरफ से चौमुखा पंचायत के 110 बच्चों को टीशर्ट बांटे. टीशर्ट पाकर बच्चे काफ़ी खुश थे. 


पंचायत के मुखिया मुकेंद्र यादव ने इस मानवीय पहल की काफी सराहना की. हम तमाम समाजसेवियों और सक्षम लोगों से अपील करते हैं कि बिहार में बाढ़ की आपदा के समय मदद के लिए आगे आएं. आपकी एक छोटी सी कोशिश किसी के चेहरे पर खुशियां वापस ला सकती हैं. जो भी आपसे बन पड़ता है, आप करें. 



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ध्यान रखिएगा, मदद कभी छोटा और बड़ा नहीं होता है. मदद चाहे एक रुपये की हो या एक लाख की, उसका भाव बहुत बड़ा होता है. शुरुआत अपने आसपास से करें, फिर मुहल्ले, गांव, पंचायत और उसके बाद तो कारवां अपने आप बनता जाएगा. 


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