Pashchim Champaran Lok Sabha Chunav 2024: ब्राह्मण कार्ड खेल सकती है कांग्रेस, डा. संजय जायसवाल का खेल बिगाड़ सकते हैं मनीष कश्यप
Pashchim Champaran Lok Sabha Chunav 2024: पश्चिम चम्पारण लोकसभा क्षेत्र इतिहास के पन्नों में कई ऐतिहासिक तथ्यों को समेटे हुए है. अंग्रेजी काल में बेतिया राज दूसरी सबसे बड़ी जमींदारी थी, जिसका क्षेत्रफल 1900 वर्ग मील था. अंग्रेज यहां नील की खेती कराते थे और इसके लिए तीन कठीया कानून लागू किया गया था.
Pashchim Champaran Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव में पश्चिम चम्पारण बेतिया लोकसभा सीट से चौका लगाने के लिए वर्तमान भाजपा सांसद डॉ. संजय जायसवाल बेताब हैं. जीत की हैट्रिक लगा चुके डॉ. संजय जायसवाल पर भाजपा ने फिर से भरोसा जताया है, लेकिन अबकी बार चौका मारना आसान नहीं लग रहा है. कांग्रेस अबकी बार बेतिया के पूर्व विधायक मदन मोहन तिवारी को मौका दे सकती है. मदन मोहन तिवारी जनसंपर्क में जुट गए हैं. उधर, यूट्यूबर मनीष कश्यप ने भी निर्दलीय चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया है. मनीष कश्यप भी लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं और पीएम मोदी के अलावा हिंदुत्व के नाम पर वोट मांग रहे हैं. इससे भाजपा प्रत्याशी संजय जायसवाल की परेशानी बढ़ गई हैं. एक तरफ मदन मोहन तिवारी ब्राम्हण वोट की बदौलत भाजपा के अभेद्य किले को ध्वस्त करने के दावे कर रहे हैं तो दूसरी तरफ मनीष कश्यप भी भाजपा के ही वोटरों को अपनी तरफ लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में पश्चिम चम्पारण लोकसभा सीट का चुनाव काफ़ी रोमांचक होता दिख रहा है.
लोकसभा क्षेत्र: पश्चिम चम्पारण
सांसद: डॉ. संजय जायसवाल, भाजपा
कुल वोटर: 17,41,115
पुरुष वोटर: 9,27,745
महिला वोटर: 8,13,310
थर्ड जेंडर: 60
पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट पर भाजपा का दबदबा है. पिछले तीन बार से भाजपा नेता डॉ. संजय जायसवाल इस सीट से जीतते आ रहे हैं. चौथी बार भी पार्टी ने उनको टिकट दिया है और वे अपने क्षेत्र में लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं. डॉ. संजय जायसवाल ने पश्चिम चंपारण से फ़िल्म निर्माता और निर्देशक प्रकाश झा को 2 बार हराया था. 2019 के लोकसभा चुनाव से पश्चिम चंपारण सीट से महागठबंधन की ओर से रालोसपा के प्रत्याशी बृजेश कुशवाहा चुनाव लड़े थे, जो बुरी तरह हारे थे.
लोकसभा चुनाव 2009
प्रकाश झा, निर्दलीय 151438 उपविजेता
डॉ. संजय जायसवाल, भाजपा 198781 विजेता
47,343 वोटों से चुनाव हारे थे प्रकाश झा
लोकसभा चुनाव 2014
प्रकाश झा, जदयू उम्मीदवार 260978 उपविजेता
डॉ. संजय जायसवाल, भाजपा विजेता 371232
1,10,254 वोटों से हारे थे प्रकाश झा.
लोकसभा चुनाव 2019
बृजेश कुशवाहा, रालोसपा उम्मीदवार
डॉ. संजय जायसवाल, भाजपा प्रत्याशी विजेता 603706 वोट मिले मिले थे
बृजेश कुशवाहा, रालोसपा, उपविजेता, 309800 वोट मिले थे.
2,93,906 वोटों से चुनाव हारे थे बृजेश कुशवाहा
पश्चिम चम्पारण लोकसभा क्षेत्र: एक नजर में
पश्चिम चम्पारण लोकसभा क्षेत्र इतिहास के पन्नों में कई ऐतिहासिक तथ्यों को समेटे हुए है. अंग्रेजी काल में बेतिया राज दूसरी सबसे बड़ी जमींदारी थी, जिसका क्षेत्रफल 1900 वर्ग मील था. अंग्रेज यहां नील की खेती कराते थे और इसके लिए तीन कठीया कानून लागू किया गया था. अंग्रेजो के खिलाफ चंपारण के लोगों के मन में भारी आक्रोश था. पंडित राजकुमार शुक्ल ने किसानों के इस आक्रोश को भांप लिया और कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में मोहनदास करम चंद गांधी से मिलकर चंपारण आने का अनुरोध किया. 1917 में महात्मा गांधी चम्पारण आए और बेतिया के हजारीमल धर्मशाला में ठहरे. उसके बाद वे गौनाहा प्रखंड के भितिहरवा आश्रम गए और एक कुटिया बनाकर अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंक दिया. उसके बाद सत्याग्रह आंदोलन पूरे देश में आग की तरह फैल गया. चंपारण में ही मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा उपाधि मिली और उसके बाद वे महात्मा गांधी के नाम से प्रसिद्ध हो गए.
बेतिया नाम क्यों पड़ा?
पश्चिमी चंपारण जिला मुख्यालय का नाम बेतिया है. बेतिया नाम क्यों पड़ा, इसके पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है. दरअसल, यहां बेंतों का वन होता था और उसके चलते यहां का नाम बेतिया हो गया. बेतिया में काली मंदिर, दुर्गाबाग मंदिर, शिव मंदिर, राजमहल और सरैया मन के साथ कई दर्शनीय स्थान भी हैं. इन स्थानों की अपनी अपनी महत्ता है. पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र के लोग आम तौर पर खेती पर निर्भर हैं. यहां गन्ना, धान और गेंहू की फ़सल होती हैं. हालांकि कोरोना काल के बाद से चनपटिया का स्टार्टअप जोन पूरे देश में अपना डंका बजा रहा है. युवा आत्मनिर्भरता की कहानी लिख रहे हैं. पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र हैं: 1. बेतिया 2. नौतन 3. चनपटिया 4. रक्सौल 5. सुगौली 6. नरकटिया.
बेतिया के प्रसिद्ध केआर हाई स्कूल के छात्र मनोज वाजपेयी आज बॉलीवुड के बड़े सुपरस्टार हैं. वो भी अमोलवा के रहने वाले हैं. फ़िल्म निर्माता और निर्देशक प्रकाश झा भी चम्पारण के ही लाल हैं. वे तो लोकसभा चुनाव में दो-दो बार पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा चुके हैं. चम्पारण की कई बड़ी हस्तियां देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रही हैं.
पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र: डेमोग्राफी
मुस्लिम: करीब 3,12,000
यादव: करीब 2,50,000
वैश्य: करीब 2,50,000
ब्राह्मण: करीब 1,40,000
कुशवाहा: करीब 2,50,000
राजपूत,भूमिहार,कायस्थ: करीब 90,000
महात्मा गांधी के नाम पर यहां होती है राजनीति
पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट कई चुनावों से भाजपा के कब्जे में है. हालांकि आज भी इस क्षेत्र में कई तरह की समस्याएं हैं. चनपटिया का चीनी मिल बंद पड़ा है और इससे क्षेत्र के किसान बेहाल हैं. बड़े ही धूमधाम से सरकार ने चनपटिया का स्टील प्लांट खोला लेकिन वह भी बंद पड़ा है. बेतिया में रोजगार के कोई साधन नहीं हैं तो शहर जाम की समस्या से जूझ रहे हैं. नौतन में सड़क-बिजली तो हैं लेकिन किसानों की बदहाली में सुधार नहीं हुआ है. सुगौली रक्सौल नरकटिया में भी यही हाल है. रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में इलाका काफ़ी पिछड़ा हुआ है. यहां बड़े-बड़े नेता चुनाव के समय गांधीजी की कर्मभूमि बताकर माथा टेकने आते हैं, उनको नमन करते हैं, उनकी कसमें खाते हैं, चम्पारण में विकास की नदियां बहाने का वादा करते हैं और फिर चले जाते हैं. देखना यह है कि डा. संजय जायसवाल लगातार चौथी बार यहां से जीत पाते हैं या फिर हैट्रिक के बाद उनकी पॉलिटिक्स पर ब्रेक लग जाएगा.
धनंजय द्विवेदी की खास रिपोर्ट