Bihar Government Schools: दावे दरिया के बराबर पर हकीकत चुल्लू भर, ऐसे कैसे आगे बढ़ेगा बिहार?

Bihar Government Schools: बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के नरकटियागंज के प्लस टू उच्च माध्यमिक भभटा के विद्यालय में बच्चे हर मौसम खुले आसमान के नीचे पढ़ेने को मजबूर हैं. बिहार में शिक्षा विभाग के तमाम बदलाव के दावे धरातल पर दम तोड़ देते हैं.

जी बिहार-झारखंड वेब टीम Wed, 16 Oct 2024-2:27 pm,
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बच्चे हर मौसम पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर

गर्मी, जाड़ा, बरसात में पढ़ने के लिए छात्रों को खुले आसमान के नीचे पेड़ ही एकमात्र सहारा है. यह तस्वीर बिहार के शिक्षा बजट पर भी सवाल खड़ा कर रहा है. इन नौनिहालों के लिए सरकार शिक्षा बजट पर भारी भरकम राशि खर्च करती है. तो वह बजट कहां है? ये छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं तो और क्या है? यह तस्वीरें सरकार से सवाल कर रहीं है. 

 

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प्लस टू उच्च माध्यमिक विद्यालय

बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के नरकटियागंज का यह प्लस टू उच्च माध्यमिक भभटा का विद्यालय है. जहां स्कूल में 7 कमरा है. 2 कमरा प्लस टू का है और 2 कमरा में स्मार्ट क्लास चलता है. एक में ऑफिस चलता है, स्कूल में कुल बच्चों की संख्या 753 हैं.

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स्कूल में बच्चों की संख्या

प्रतिदिन स्कूल में उपस्थिति बच्चों की संख्या 663 हैं. विद्यालय में बच्चों की संख्या ज्यादा होने की वजह से छात्रों को बाहर पेड़ के नीचे पढ़ाया जाता है. कभी 2 क्लास के छात्र बाहर बैठ पढ़ाई करते है, तो कभी 3 क्लास के छात्र बाहर बैठ पढ़ाई करते हैं.

 

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प्रधानाध्यापक

प्रधानाध्यापक मोहम्मद जाकिर हुसैन बताते हैं कि पूरे स्कूल में 7 कमरा हैं. 2 क्लासरूम में प्लस टू की पढ़ाई होती है और 2 क्लासरूम में स्मार्ट क्लास चलता है. उसी में ऑफिस चलता है. बचे 3 क्लास रूम में 600 से अधिक बच्चों को पढ़ाना बहुत मुश्किल हो जाता है, तो पेड़ के नीचे बिठा पढ़ाया जाता है.

 

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स्कूल में कमरा बनवाने की नहीं मिली स्वीकृति

शिक्षा विभाग को बार-बार पत्र लिखा गया है लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता है. स्कूल में कमरा बन रहा है लेकिन वह आधा अधूरा है. उसे तोड़ फिर से बनवाना है, जिसका स्वीकृति नहीं मिला है. यह तस्वीर देखें पेड़ के नीचे चल रहा क्लास का दीवाल पेड़ का ही एक टहनी है. पेड़ के एक टहनी के बगल में शिक्षिका क्लास चला रहीं है, तो दूसरी तरफ एक शिक्षक क्लास चला रहें है. जमीन पर ब्लैक बोर्ड रखा गया है. छात्र जमीन पर बोरा पर बैठ पढ़ने को मजबूर है. छात्रों का कहना है कि जाड़ा, गर्मी, बरसात में ऐसे ही पढ़ाई करना पड़ता है. (इनपुट - धनंजय द्विवेदी)

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