बेतिया की रैली से पीएम मोदी ने थारू समाज की शान में गढ़े कसीदे, कहा— प्रकृतिप्रेमियों से सीखना चाहिए
Who is Tharu Tribe: पीएम मोदी ने बेतिया की रैली में जहां किसान, नौजवान, महिला आदि सभी के बारे में बात की, वहीं वे यहां के थारू समाज का जिक्र करना भी नहीं भूले. पीएम मोदी ने थारू समाज को प्रकृतिप्रेमी कहते हुए कहा, यह क्षेत्र प्रकृति प्रेमी थारू समाज का भी क्षेत्र है. थारू समाज का भारत के विकास में अहम योगदान है.
Tharu Tribe
नेपाल और भारत के सीमावर्ती इलाकों यानी तराई में निवासी करने वाली जनजाति को थारू कहते हैं. यह एक विशिष्ट जनजाति है. माना जाता है कि नेपाल की जनसंख्या का करीब 6.6 प्रतिशत जनसंख्या थारू है.
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पीएम मोदी ने थारू समाज को प्रकृतिप्रेमी कहते हुए कहा कि यह क्षेत्र प्रकृति प्रेमी थारू समाज का भी क्षेत्र है. थारू समाज का भारत के विकास में अहम योगदान है. इसलिए मैं कहता हूं कि विकसित भारत के निर्माण के लिए सबका प्रयास चाहिए, सबकी सीख चाहिए लेकिन इसके लिए एनडीए सरकार का 400 पार होना उतना ही जरूरी है.
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बिहार के चंपारण, उत्तराखंड के नैनीताल और उधमसिंह नगर आदि जिलों में थारू जनजाति निवासी करती है. यह आबादी ज्यादातर बिहार और नेपाल के बॉर्डर के इलाकों में निवास करती है.
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थारू समाज के लोग अपना जीवनयापन खेती, मछली पकड़ने और शिकार करके करते हैं. थारू समाज के लोग फल, सब्जियां और औषधीय पौधे इकट्ठा करते हैं और स्थानीय बाजारों में बेचते हैं. भारत में इन्हें अनुसूचित जनजाति के रूप में लिस्टेड किया गया है.
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ये प्रकृति के नजदीक रहना ज्यादा पसंद करते हैं. मुख्य रूप से हिंदू धर्म को मानने वाले थारू समाज के लोग हिंदू देवी देवताओं की पूजा करते हैं और सभी त्योहारों को बनाते हैं. कुछ थारू बौद्ध धर्म को भी मानते हैं.
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थारू नाम स्थवीर से लिया गया है, जिसका अर्थ थेरवाद है. इसका मतलब बौद्ध धर्म का अनुयायी होता है. संभव है कि थारू शब्द तिब्बत के शास्त्रीय शब्द म्था रूई ब्रग्यूड से हुई हो. इसका मतलब होता है सीमा पर देश. तिब्बती विद्वान तारानाथ ने बौद्ध धर्म के इतिहास पर अपनी पुस्तक में म्था रूई ब्रग्यूड का जिक्र किया था.