पटना: पश्चिम चंपारण जिले का वाल्मीकि टाइगर रिजर्व अब 'बिहार का कश्मीर' के रूप में मशहूर हो रहा है. इस समय यहां वन्य जीवों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. जिसका कारण है बेहतर निगरानी, कड़ी सुरक्षा और पर्याप्त भोजन की व्यवस्था. पिछले 5 वर्षों में यहां गौर, तेंदुआ, चीतल, हिरण, मोर, सांभर, जंगली सूअर आदि जानवरों की संख्या में कई गुना बढ़ चुकी है.


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वीटीआर में हो रहे निगरानी, कड़ी सुरक्षा और पर्याप्त भोजन की व्यवस्था के कारण, वन्यजीवों की गिनती में बहुत बढ़ोतरी हो रही है. कैमरों में कैद हुई तस्वीरों के आधार पर बाघों के साथ-साथ अन्य जानवरों की अनुमानित संख्या को प्रकाशित किया जा रहा है. इसमें 35 प्रतिशत तक की शाकाहारी जानवरों की बढ़ती संख्या भी शामिल है.


वन कर्मियों के अनुसार चीतल की संख्या में 35 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है. बीते कुछ वर्षों में वीटीआर में वन्य जीवों की संख्या करीब 15 हजार थी, जो अब 35 हजार के पार हो गई है. इसके अलावा सांभर, नीलगाय, हिरण, गौर और जंगली सुअर जैसे जानवरों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. इस सफलता के पीछे एक मुख्य कारण यह है कि वीटीआर में बड़े भू-भाग पर फैले घास के मैदान हैं, जो जानवरों के लिए एक आदर्श स्थान है. वीटीआर में लगभग 2400 वर्ग हेक्टेयर के घास के मैदान हैं और आने वाले दिनों में इसे दोगुना करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है.


इस समय वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए 53 शिकार रोधी कैंप बनाए गए हैं, जहां दिन-रात वन कर्मियों की विशेष तैनाती रहती है. गर्मी में वन्य प्राणियों को पानी की समस्या से बचाने के लिए 50 से ज्यादा वाटर होल भी बनाए गए हैं. इस प्रकार पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में हो रहे प्रयासों से जंगली जीवों की संरक्षण में सफलता हासिल हो रही है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि आने वाली पीढ़ियों को भी जंगली जीवों का आनंद लेने का अवसर मिले.


इनपुट- जी बिहार झारखंड ब्यूरो


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